नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर (Jammu kashmir) से ईद के दिन आई अमन और शांति वाली तस्वीरों को देखकर पाकिस्तान (Pakistan) बहुत ही दुखी और तनाव में है. राज्य में धारा 370 निष्क्रिय किए जाने के बाद इन तस्वीरों में कश्मीर के विकास और बदलाव के संकेत हैं. कश्मीर के लोगों को उनके जीवन की सबसे बड़ी ईदी दी है, लेकिन ये बात पाकिस्तान (Pakistan) के अलावा भारत के उन नेताओं को बहुत पीड़ा दे रही है, जिनका राजनीतिक अस्तित्व तुष्टिकरण की राजनीति पर टिका हुआ है. ये वह नेता हैं जो भारत में रहकर पाकिस्तान (Pakistan) का मकसद पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर (Manishankar ayer) ने सोमवार को एक अखबार में लेख लिखा है. लेख में उन्होंने कश्मीर मामले की तुलना इजराइल और फिलिस्तीन की समस्या से की है. मणिशंकर अय्यर (Manishankar ayer) ने लिखा है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने देश के उत्तरी सीमा यानी कश्मीर को फिलीस्तीन बना दिया है. नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने ये शिक्षा अपने गुरु बेंजामिन नेतन्याहू और यहूदियों से ली है.
ऐसा लगता है कि मणिशंकर अय्यर (Manishankar ayer) ने यह लेख लिखने के लिए कागज़ और कलम ख़ास तौर पर पाकिस्तान (Pakistan) से मंगवाए हैं. मणिशंकर अय्यर (Manishankar ayer) और दूसरे बुद्धिजीवी खुद को काफी विद्वान समझते हैं. वह बहुत चालाकी से कश्मीर मामले की तुलना इजराइल और फिलिस्तीन विवाद से कर रहे हैं. लेकिन ये पूरी तरह गलत है. आइए भारत और इजराइल के मामलों में फर्क समझते हैं.-:
2. इजराइल-फिलिस्तीन में मौजूद आतंकवादियों के समर्थकों पर कोई दया नहीं दिखाता है. वहां पत्थर का जबाव बंदूक और बम से दिया जाता है. लेकिन कश्मीर में भारत की सेना पत्थरबाज़ी सहकर भी शांत रहती है. इजराइल में आतंक के खिलाफ़ कार्रवाई करने के लिए सेना को पूरी छूट है, लेकिन कश्मीर में भारतीय सेना संयम से काम करती है. भारतीय सेना मानव अधिकारों के दायरे में रहकर एक्शन लेती है.
3. अगर आप इजराइल-फिलिस्तीन समस्या के इतिहास को समझेंगे तो आपको ये फर्क और आसानी से समझ में आएगा. 19वीं शताब्दी में दुनिया में इजराइल नाम का कोई देश था ही नहीं. 19वीं शताब्दी में थियोडौर हैरत्ज़ल नाम के एक यहूदी विचारक ने यहूदी राष्ट्रवाद का विचार रखा. इसके बाद पूरी दुनिया के यहूदियों ने ये संकल्प लिया कि जेरुसलम और उसके आस-पास का इलाका उनकी मातृभूमि है और उन्हें दोबारा जेरुसलम पर कब्ज़ा करना है.
5. आज के Israel को 19वीं शताब्दी में फिलिस्तीन कहा जाता था और उसमें अरब के मुसलमानों की आबादी थी. लेकिन बहुत व्यवस्थित तरीके से यहूदियों ने जेरुसलम की तरफ पलायन किया. धीरे-धीरे पूरे इलाके में यहूदियों की आबादी बहुत बढ़ गई और अरब के मुसलमान अल्पसंख्यक होते गए.
6. दूसरे विश्व युद्ध में लाखों यहूदियों के नरसंहार के बाद पूरी दुनिया में यहूदियों के प्रति सहानुभूति थी. यहूदियों ने इसका लाभ उठाया. वर्ष 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने इजराइल को एक देश के तौर पर मान्यता दे दी. लेकिन जेरुसलम को एक अंतर्राष्ट्रीय शहर के तौर पर मान्यता दी गई. ताकि सर्वधर्म समभाव बना रहे. तब जेरुसलम पर इजराइल का नियंत्रण नहीं था.
भारत में पाकिस्तान (Pakistan) के हमदर्द नेताओं की सूची बहुत लंबी है. इसी सूची में एक और नाम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम हैं. सोमवार को दिए बयान में वह जम्मू कश्मीर (Jammu kashmir) को धर्म के चश्मे से देखते हुए वहां की समस्या को हिंदू-मुस्लिम वाला रंग दे रहे हैं. चिदंबरम ने कथित तौर पर कहा कि बीजेपी सरकार ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया, क्योंकि यह एक मुस्लिम बहुल राज्य था और ‘अगर कश्मीर हिंदू बहुल होता तो भाजपा इसे (अनुच्छेद 370) को नहीं हटाती.’
पी चिदंबरम के इस बयान को सुनकर आज पाकिस्तान (Pakistan) की खुशी बहुत बढ़ गई हैं. पाकिस्तान (Pakistan) की सरकार का मनोबल बढ़ गया है, क्योंकि पाकिस्तान (Pakistan) का मकसद पूरा करने वाले नेता भारत में ही मौजूद हैं.