कर्नाटक। कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की अगुआई वाली कॉन्ग्रेस-जदएस सरकार विश्वास मत पर मतदान को जितना टाल रही है उसका संकट उतना ही गहराता जा रहा है। सोमवार को होने वाले बहुमत परीक्षण से पहले राज्य में बसपा के इकलौते विधायक एन सुरेश ने घोषणा की है कि फ्लोर टेस्ट के दौरान वे विधानसभा में मौजूद नहीं रहेंगे।
उनके मुताबिक बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर उन्होंने बहुमत परीक्षण से दूर रहने का फैसला किया है। 16 विधायकों की बगावत के कारण 14 महीने पुरानी कुमारस्वामी सरकार पहले से ही संकट में है। इनमें से 13 कॉन्ग्रेस के और 3 जदएस के हैं।
बीते हफ्ते लगातार दो दिनों तक विश्वास मत पर मतदान नहीं होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी थी। इस दौरान राज्यपाल ने स्पीकर और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विश्वास मत पर वोटिंग कराने को कहा था।
मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि राज्यपाल वजूभाई वाला विधानसभा को निर्देशित नहीं कर सकते कि विश्वास मत प्रस्ताव किस तरह लिया जाए। वहीं, कॉन्ग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रूख करते हुए कहा है कि बागी विधायकों की याचिका पर न्यायालय का आदेश विधानसभा के चालू सत्र में पार्टी के लिए अपने विधायकों को व्हिप जारी करने में बाधक बन रहा है।
224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में भाजपा के 105 विधायक हैं और उसे दो निर्दलीयों का समर्थन भी हासिल है। ऐसे में अब तक अपने विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए विशेष पैकेज के बदले समर्थन का वादा करते रहे एन सुरेश के पीछे हटने से कुमारस्वामी सरकार के गिरने का खतरा और बढ़ गया है।