लखनऊ। कई चीनी मिल ख़रीद कर अकूत संपत्ति अर्जित करने और बेटे के साथ मिल कर करोड़ों रुपए इधर-उधर करने के मामले में सीबीआई ने बसपा के पूर्व विधान पार्षद हाजी इक़बाल पर शिकंजा कसा है। कल मंगलवार (जुलाई 9 , 2019) को उसके कई ठिकानों पर सीबीआई ने छापेमारी की। मायावती के शासनकाल में बीमार बता कर 21 चीनी मीलों को बेच डाला गया था। मोहम्मद इक़बाल के मुंशी नसीम के घर में सीबीआई की टीम ने छापेमारी की। इक़बाल के दोनों बेटों- जावेद और वाजिद के ख़िलाफ़ पहले ही मामला दर्ज किया जा चुका है। अप्रैल 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चीनी मिल घोटालों की सीबीआई जाँच की सिफारिश की थी।
यह घोटाला 2011 में हुआ था। बताया जाता है कि कुल 1100 करोड़ रुपए के इस घोटाले को अंजाम देने के लिए ही चीनी मीलों को औने-पौने दाम पर बेच डाला गया था। जिन चीनी मीलों को बेचा गया था, उसमें से 10 सक्रिय थीं जबकि बाकि 11 बंद पड़ी हुई थीं। मंगलवार को सुबह 9 बजे शुरू हुई कार्रवाई शाम तक चली। हाजी इक़बाल के बारे में कहा जाता है कि पहले वह सिर्फ़ एक लकड़ी की टाल का मालिक था लेकिन कुछ ही वर्षों में उसने अपना एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया। सहारनपुर में उसने एक यूनिवर्सिटी भी स्थापित की।
मोहम्मद इक़बाल ने कई मुखौटा कम्पनियाँ बनाईं, जिनके डायरेक्टर के रूप में उसने अपने लोगों को रखा।लेकिन, क़दम-क़दम पर धोखाधड़ी के कारण सीबीआई की नज़रों से वह बच नहीं सका। उसकी फ़र्ज़ी कंपनियों की नेट वर्थ से लेकर संपत्ति तक, बैलेंस शीट में सबकुछ काल्पनिक था। सहारनपुर में हाजी इक़बाल के आदमी सौरभ मुकुंद और मिर्जापुर में उसके मुंशी नसीम के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई। इक़बाल के भाई महमूद अली ने सीबीआई की इस कार्रवाई के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी दी है।
हाजी इक़बाल के बारे में कहा जाता है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का क़रीबी है। उसका नाम खनन घोटाले में भी आ चुका है। हाजी इक़बाल को 2010 में बसपा से विधान पार्षद बनाया गया था, जबकि उसके भाई महमूद अली को भी विधान पार्षद बनाया गया है। हाजी इक़बाल का बेटा जावेद गिरफ़्तार होकर जेल भी जा चुका है। उसके मुनीम नसीम से एजेंसी ने लगभग 2 घंटे तक गहन पूछताछ की। इससे पहले नोटबंदी के दौरान फ़र्ज़ी संस्था खड़ी कर के करोड़ों की धोखाधड़ी की गई थी। उस मामले में भी इक़बाल का नाम आया था।