कोलकाता। पश्चिम बंगाल में शिक्षा व्यवस्था की पोल खुलती नज़र आ रही है। वहाँ आठवीं कक्षा की पुस्तक में स्वतन्त्रता सेनानी खुदीराम बोस को आतंकी बताया गया है। खुदीराम बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में भाग लिया था, जिसके कारण उन्हें मात्र 18 वर्ष की आयु में अंग्रेजों ने फाँसी दे दी थी। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में जन्मे बोस को उन्हीं के राज्य में ‘आतंकी’ बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर पुस्तक के उस भाग की तस्वीरें वायरल हो गईं, जिसके बाद लोगों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को निशाने पर लिया। राज्य में लापरवाह शिक्षा विभाग ने अमर क्रांतिकारी को आतंकी बता दिया!
माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। मामले की जाँच के लिए राज्य सरकार ने इतिहासकार जीवन मुखर्जी के नेतृत्व में एक कमिटी गठित की है, जिसमें हिन्दू स्कूल और हेयर स्कूल के प्राध्यापकों को भी रखा गया है। शिक्षाविद पवित्र सरकार भी इस टीम का हिस्सा हैं, जो पूरी पुस्तक की समीक्षा करेगी और ग़लतियों को सुधारेगी। हालाँकि, इतिहास की इस पुस्तक को तैयार करने वाले निर्मल बनर्जी ने कहा कि ब्रिटिश सरकार ने खुदीराम बोस को ‘आतंकवादी’ कहा था, इस पाठ में उसीका उल्लेख किया गया है। उन्होंने बताया कि इतिहास से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।
कौन थे खुदीराम बोस?
बंगाल से आने वाले स्वतन्त्रता सेनानी खुदीराम बोस मात्र 18 वर्ष की उम्र में देश के लिए फाँसी के फंदे पर झूल गए थे। श्री अरबिंदो और सिस्टर निवेदिता ने जब मेदनीपुर का दौरा किया था, तब खुदीराम उनके विचारों से काफ़ी प्रभावित हुए थे। उन्होंने भारतियों पर अत्याचार करने वाले कई अंग्रेज अधिकारियों को निशाना बनाया था। वह क्रन्तिकारी संगठन अनुशीलन समिति का हिस्सा थे। जब खुदीराम बोस को अंग्रेजों ने गिरफ़्तार किया था, तब उनके बारे में सुन कर उन्हें देखने के लिए बड़ी भीड़ जमा हो गई थी। कहते हैं, खुदीराम बोस को जब फाँसी पर लटकाया जा रहा था, तब भी उनके चेहरे पर हँसी थी।