नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खासमखास और चहेते नेताओं में से एक पीयूष गोयल एक बार फिर कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं, मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में उन्होने संकटमोचक हनुमान की भूमिका निभाई, मुश्किल में पड़े जितने भी मंत्रालय थे, उसकी जिम्मेदारी गोयल को सौंपी जाती थी, फिर वो उसे उबार लाते थे, पीयूष गोयल मोदी सरकार 2.0 में शामिल होंगे, उन्हें सरकार में शामिल होने का न्योता मिल चुका है।
काबिल मंत्री
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वो सबसे काबिल मंत्रियों में से एक रहे, जिस भी मंत्रालय में मुश्किलें आई, वहां पीयूष गोयल को आगे किया गया, जिसके बाद उन्होने उस मंत्रालय को पटरी पर लाया। सबसे पहले कोयला मंत्री की भूमिका में उन्होने कोयला संकट और कोल ब्लॉक आवंटन के पेचीदा मसले को सुलझाया, फिर ऊर्जा मंत्री के रुप में हर घर तक बिजली पहुंचाई।
रेल और वित्त मंत्रालय भी संभाला
जब भारतीय रेल बेपटरी हो रही थी, मोदी सरकार की फजीहत हो रही थी, तो पीएम मोदी ने सुरेश प्रभु से इस मंत्रालय की जिम्मेदारी लेकर पीयूष गोयल को लगाया, उन्होने बेपटरी होती रेल को पटरी पर लाने की कोशिश की, इसके साथ ही अरुण जेटली को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हुई, वो इलाज के लिये देश से बाहर गये, तो फिर वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी भी गोयल ने संभाला, यानी जहां भी परेशानी हुई, वहां मोदी ने गोयल को लगाया।
राजनीतिक परिवार से ताल्लुक
आपको बता दें कि पीयूष गोयल एक बडे राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं, उनके पिता अटल सरकार में मंत्री थे, तो मां मुंबई से तीन बार विधायक रह चुकी हैं। पीयूष गोयल 80 के दशक में बीजेपी से जुड़े थे, उनके पिता करीब दो दशक तक बीजेपी के कोषाध्यक्ष रहे, अटल जी ने उन्हें जहाजरानी मंत्री बनाया था, हालांकि पीयूष गोयल खुद अभी तक कोई चुनाव नहीं लड़ा था, लेकिन रणनीति और मंत्रालय संभालने में उन्हें मास्टरी हासिल है, वो चुनाव लड़ते नहीं बल्कि लड़वाते हैं।
सीए हैं गोयल
पीयूष गोयल पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट रहे हैं, वो एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ोदा के डायरेक्टर भी रह चुके हैं, पिता की तरह उन्होने भी बीजेपी के पैसों का हिसाब-किताब रखा, 2010 से 2014 तक पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे, 2010 में बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेजा, कहा जाता है कि गोयल शुरु से ही मोदी के नजदीक रहे हैं, इसी वजह से अमित शाह के बाद वो गोयल पर भी खूब भरोसा करते हैं, इस बार उन्हें वित्त मंत्रालय देने की बात की जा रही है।