लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन अपने आप में एक बड़ी राजनीतिक सुर्खी रहा, बसपा और सपा का गठबंधन हुआ ही इस वजह से था क्योंकि कैराना, गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उपचुनाव के नतीजों के बाद ये माना जाने लगा कि बीजेपी को उत्तर प्रदेश में हराना है तो महागठबंधन ही उसका जवाब हो सकता है । लिहाजा गठबंधन भी हुआ, दो विरोधी एक हुए लेकिन फायदा होता नजर नहीं आ रहा । जबकि अमित शाह के दावे सच होते नजर आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों का हाल
उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों के रुझान सामने आ गए हैं । यहां 55 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी, 24 पर महागठबंधन और एक सीट पर कांग्रेस आगे चल रही है। शुरुआती रुझानों में ही साफ नजर आ रहा है कि बीजेपी बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है । एग्जिट पोल के आंकड़ें भी कुछ ऐसा ही दावा कर रहे थे । यहां पूर्वांचल में मोदी की पकड़ मजबूत नजर आ रही है, कांग्रेस ने इस क्षेत्र की बागडोर प्रियंका गांधी को सौंपी थी लेकिन उनका जादू चलता नजर नहीं आ रहा ।बुआ-भतीजे की उम्मीदों पर पानी
कैराना, गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उपचुनाव के नतीजों से उत्साहित होकर ही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक साथ आए । पुरानी दुश्मनी को एक किनारे करते हुए मोदी को हराने की बड़ी रणनीति तैयार की गई । मायावती और अखिलेश यादव ने हाथ मिलाएं, मंच से अखिलेश ने मायावती को बुआ माना, साथ लड़े भी लेकिन नतीजे कुछ और ही फैसला करते नजर आ रहे हैं । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगे गठबंधन, कांग्रेस सब फेल होते नजर आ रहे हैं । हालांकि ये रुझान फाइनल परिणाम नहीं हैं, लेकिन विपक्ष को परेशान करने के लिए काफी हैं ।50 फीसदी वोट शेयर का दावा
चुनाव से पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया था कि वो कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर रहे हैं कि इस बार उनका लक्ष्य देश में 50 फसदी वोट शेयर हासिल करना है । हालांकि इस दावे पर चुनाव विशेषज्ञों की अपनी अलग-अलग राय रही । 50 फसदी वोट शेयर हासिल करना किसी भी दल के लिए चुनौती से कम नहीं, साल 1984 के आम चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली कांग्रेस भी 49.1 फीसदी के आंकड़े तक पहुंची थी और उसने 514 में से 404 सीटें जीती थीं । बहरहाल वर्तमान समय में बीजेपी के लिए इस आंकड़ें को पाना मुश्किल भी नहीं लग रहा है ।