नई दिल्ली। चुनाव कमिश्नर अशोक लवासा ने आचार संहिता उल्लंघन मामले पर होने वाली मीटिंग से खुद को अलग रखने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट दिए जाने को लेकर हुई मीटिंग के बाद कमिश्नर लवासा ने यह कदम उठाया है। उन्होंने इस बारे में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र भी लिखा है।
लवासा ने बताया कि मीटिंग में क्लीन चिट पर असहमति जताने के बाद से उन पर आगे की मीटिंग से दूर रहने के लिए दबाव बनाया गया। उस मीटिंग की रिकॉर्डिंग भी नहीं की गई थी। इस महीने के पहले हफ्ते में आचार संहिता उल्लंघन से जुड़े मामलों की सुनवाई से कमिश्नर लवासा पूरी तरह से दूर थे। लवासा ने लिखा कि वह मीटिंग में जरूर शामिल होंगे, यदि उनके निर्णय को भी रिकॉर्ड में लिया जाए।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने आयुक्त लवासा के पत्र को लेकर बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के तीन सदस्य एक-दूसरे के क्लोन तो नहीं हो सकते हैं। पहले भी ऐसा कई बार हुआ है जब विचारों में मतभेद देखने को मिले हैं। ऐसा हो सकता है। ऐसा होना भी चाहिए।
आयोग को किसी भाषण में उल्लंघन जैसा कुछ नहीं मिला
- सूत्र के मुताबिक, लवासा ने प्रधानमंत्री के चार भाषणों और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के भाषण को क्लीन चिट दिए जाने के मामले पर असहमति जताई थी। फुल कमीशन (मुख्य चुनाव आयुक्त समेत दो अन्य आयुक्त) की मीटिंग में 2:1 से फैसले से मोदी को क्लीन चिट दी गई। अन्य कमिश्नरों को इन नेताओं के भाषणों में आचार संहिता के उल्लंघन जैसी कोई बात नजर नहीं आई थी।
- चुनाव आयोग ने 4 मई को कहा था कि मोदी ने गुजरात के पाटण में 21 अप्रैल को हुई चुनावी रैली के दौरान दिए गए भाषण में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया। मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की सुरक्षित रिहाई के लिए पाकिस्तान को अंगूठे पर ले आई थी।
- यह छठा मौका था जब आयोग ने मोदी को उनके भाषण के लिए क्लीन चिट दी थी। इसी तरह आयोग को मोदी के नांदेड़, महाराष्ट्र में दिए गए भाषण में भी कुछ अनुचित नहीं लगा था। यहां मोदी ने कांग्रेस को ‘डूबता जहाज’ बताया था।
- इससे पहले आयोग मोदी को वर्धा में 1 अप्रैल को हुई चुनावी रैली में दिए भाषण को लेकर क्लीन चिट दे चुका था। यहां उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर अल्पसंख्यक बाहुल्य वाली केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने को लेकर निशाना साधा था।
- इसके बाद आयोग ने मोदी को लातूर में 9 अप्रैल को हुई चुनावी रैली के दौरान दिए गए भाषण को लेकर भी क्लीन चिट दी थी। यहां मोदी ने फर्स्ट टाइम वोटरों से पुलवामा शहीदों के नाम पर वोट करने की अपील की थी।