नई दिल्ली। भारतीय सेना को 464 T-90 भीष्म टैंक मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है. रक्षा मंत्रालय ने इस सौदे पर मुहर लगा दी है. कुल 13448 करोड़ रुपए की क़ीमत के ये टैंक 2022 से 2025 के बीच भारतीय सेना में शामिल होंगे. इनका निर्माण भारत में ही अवडी हैवी व्हीकल फैक्टरी में होगा. ये टैंक भारत और रूस के बीच 1654 टैंकों के समझौते की आखिरी खेप होंगे. T-90 टैंकों को भारतीय सेना की आर्मर्ड रेजीमेंट्स की जान माना जाता है.
पाकिस्तान को ध्यान में रखकर बढ़ाए जा रहे आर्मर्ड रेजीमेंट्स
भारतीय सेना के पास रूस से खरीदे गए T-72 टैंक के अलावा स्वदेशी अर्जून टैंक भी हैं. लेकिन अपने अभेद्य कवच, सटीक निशाने और अत्याधुनिक कंट्रोल सिस्टम की वजह से T-90 टैंक सबसे आगे हैं. पाकिस्तान का सामना करने वाली भारतीय सेना की दोनों स्ट्राइक कोर की सात से ज्यादा आर्मर्ड रेजीमेंट्स को पहले ही T-90 से लैस किया जा चुका है. योजना है कि पाकिस्तान का सामना करने वाली 20 से ज्यादा आर्मर्ड रेजीमेंट्स को T-90 से लैस किया जाएगा.
भारतीय सेना मैदानों में लड़ाई के दौरान रफ्तार और गोलाबारी की क्षमता को बढ़ाना चाहती है ताकि बहुत कम वक्त में दुश्मन के इलाक़ों में तेज़ी से घुसा जा सके. इसके लिए T-90 जैसे टैंक बेहद कारग़र हैं. एक आर्मर्ड रेजीमेंट में 45 टैंक होते हैं और भारतीय सेना में 65 से ज्यादा आर्मर्ड रेजीमेंट्स हैं.
60 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकता है भीष्म
47 टन वजनी T-90 भीष्म में 3 क्रू मेंबर होते हैं और ये किसी भी तरह के इलाक़ें में 60 किमी की रफ्तार से दौड़ सकता है. इसकी 125 मिमी की मुख्य गन चार तरह के गोले और मिसाइल दाग सकता है. इसको बेहद मज़बूत कवच से सुरक्षित बनाया गया है, इसलिए ये मैदानी लड़ाई में दुश्मन के किसी टैंक या पक्की मोर्चाबंदी को तबाह कर सकता है. इसे आसानी से एयरक्राफ्ट के ज़रिए ले जाया जा सकता है. T-90 टैंक नीचे उड़ते हुए हेलीकॉप्टर को भी निशाना बना सकता है. ये भारत के हर किस्म के वातावरण और इलाक़े में लड़ने की क़ाबिलियत रखते हैं.