पटना। आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने जात-पात को लेकर न्यायपालिका पर सवाल उठा दिया है. लालू यादव की सजा के लिए तिवारी ने जज के सवर्ण होने का आरोप लगाया और कहा इसलिए उन्हें सजा दी गई. इस बयान से बिहार में सियासत पूरी तरह से गरम हो गई है. वहीं, अब शिवानंद तिवारी ने कहा है कि अगर यह न्यायापालिका को लेकर सत्य कहना अवमानना है तो वह इसकी सजा के लिए तैयार हैं.
शिवानंद तिवारी ने न्यायपालिका को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया है. उनका कहना है कि अब देश में यह सत्य हो गया है कि न्यायपालिका भी जाति से पड़े नहीं है. अदालत के जज भी मनुष्य हैं इसलिए वह भी जाति के बंधन में काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि लालू यादव को सजा इसलिए हुई क्यों कि अदालत में जज सवर्ण समाज से थे.
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका पर भी जात-पात का प्रभाव है. हालांकि, उन्होंने कहा कि हम सारे केस को लेकर नहीं कह रहे हैं. लेकिन लालू यादव के साथ ऐसा किया गया है.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि साल 2000 में संसद की कमिटी की रिपोर्ट है जिसमें कहा गया है कि यह असंभव है कि अपने लोगों के खिलाफ फैसला देना आसान नहीं है. साथ ही इसके लिए न्यायपालिका में रिजर्वेशन देने की बात भी कही गई है.
उन्होंने कहा कि लालू यादव न्यायपालिका के जाति के प्रभाव का ही शिकार हुए हैं. लालू यावद ने मंडल कमिशन का समर्थन किया था और वह उस वक्त ब्राह्मण वाद पर हमला कर रहे थे. इसलिए ऐसे में लालू की इस आवाज से सवर्ण तटस्थ नहीं रह सकते थे. न्यायपालिका में भी यही प्रभाव देखने को मिला.
जब उनसे पूछा गया कि अब अदालत ने फैसला सुना दिया है और अगर इस पर सवाल खड़ा करना अवमानना हो सकता है, तो शिवानंद तिवारी ने कहा कि वह इसकी सजा भुगतने के लिए तैयार हैं. लेकिन यह सच है जो न्यायापालिका में हो रहा है. इस सच के लिए मुझे सजा भुगतना भी पड़े तो मैं तैयार हूं.