नई दिल्ली। प्रियंका गांधी के राजनीतिक एंट्री के साथ ही उनके चुनावी मैदान में उतरने को लेकर लगातार कयास लगाए जा रहे थे. वाराणसी लोकसभा सीट पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस ने गुरुवार को अजय राय को उम्मीदवार बनाकर प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने के सारे कयासों पर ब्रेक लगा दिया है. हालांकि प्रियंका के रायबरेली, अमेठी, इलाहाबाद, फूलपुर और वाराणसी सीट पर चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोर-शोर से थीं. ऐसे में कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े ट्रंप कार्ड प्रियंका गांधी को इस चुनावी रण में उतारने के बजाय 2022 में यूपी में बड़े स्तर पर करेगी.
लोकसभा चुनाव 2019 के आखिरी व सातवें चरण के नामांकन की प्रक्रिया चल रही है. बाकी छह चरणों के नामांकन का दौर पूरा हो चुका है. ऐसे में प्रियंका गांधी के लिए पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की चर्चाएं हो रही थीं, उनमें से चार सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. महज वाराणसी सीट बची है, जहां 29 अप्रैल तक नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकते हैं. इसी बीच वाराणसी सीट पर भी कांग्रेस ने अजय राय के नाम पर मुहर लगा दी है, जिसके बाद प्रियंका गांधी के लोकसभा चुनाव लड़ने का सस्पेंस खत्म हो गया है. फिलहाल प्रियंका इस चुनाव में सिर्फ पार्टी के प्रचार पर फोकस करेंगी.
माना जा रहा है कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में न उतारने के पीछ सोची समझी साजिश है. दरअसल कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 2019 लोकसभा चुनाव से ज्यादा 2022 को लेकर अपनी सियासी जमीन तैयार कर रही है. प्रियंका के राजनीतिक एंट्री और पूर्वी यूपी का प्रभार दिए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कहा था कि प्रियंका केवल ‘मिशन 2019’ के लिए नहीं, बल्कि ‘मिशन 2022’ के लिए आई हैं. राहुल ने कहा था कि प्रियंका को मिशन दिया गया है कि यूपी में अगली सरकार हमारी होगी.
राहुल की इन बात का मतलब साफ है कि लोकसभा चुनाव में तो प्रियंका यूपी का नेतृत्व तो करेंगी ही, बल्कि यूपी का 2022 का होने वाला विधानसभा चुनाव भी उनकी ही अगुवाई में लड़ा जाएगा. यही वजह है कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को लोकसभा चुनाव लड़ाने से बजाय विधानसभा चुनाव में फुल फ्लैश कमान उतरने की तैयारी है.
दरअसल यूपी की जिम्मेदारी के साथ में प्रियंका को मिशन 2022 तक के लिए लाने की बात कहने की पीछे की वजह कांग्रेस का यूपी में वजूद बढ़ाने की है. 1989 के बाद से कांग्रेस यूपी की सत्ता में कभी नहीं आई. अब तीस साल के करीब हो रहे हैं और कांग्रेस हर रोज सिमटती जा रही. यूपी में कांग्रेस की स्थिति खराब होने का असर केंद्र में भी कांग्रेस को देखना पड़ा. 1998 के लोकसभा चुनाव में में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. 1999 के बाद कांग्रेस में जान पड़ी और 2014 में फिर दो सीट पर सिमट गई. इतना ही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भी सपा से गठबंधन के करने के बाद भी कांग्रेस को महज 7 सीटें मिलीं.
प्रियंका गांधी ने इस लोकसभा चुनाव में जिस तरह से विपक्षी दलों के दिग्गज नेताओं को पार्टी से जोड़ा और टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है. इसके अलावा प्रियंका ने इन नेताओं से लोकसभा चुनाव लड़ने के साथ-साथ 2022 के विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंकने की बात कह रखा है. ऐसे में साफ है कि कांग्रेस ने अपने ट्रंप कार्ड को बचाकर 2022 के लिए रख लिया है. प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस उम्मीदवार को जिताने लिए मेहनत कर रही है.