नई दिल्ली। harassment allegations against CJI Ranjan Gogoi सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को एक अलग तरह के मामले की सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोपों पर सुनवाई की। जस्टिस गोगोई ने उन पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। हालांकि, उन्होंने इस मामले की सुनवाई के लिए एक बैंच का गठन किया है और खुद को इससे अलग कर लिया है। इसके साथ ही उन्होंने इस तरह के आरोपों को न्यायपालिका के खिलाफ साजिश करार देते हुए न्यायपालिका को खतरे में बताया।
बता दें कि जस्टिस गोगोई पर सुप्रीम कोर्ट की ही एक पूर्व कर्मचारी ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि इस तरह के आरोप न्यायपालिका की स्वायतता के खिलाफ साजिश हैं। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर शनिवार को मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना ने की।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन पर लगे आरोप अविश्वसनीय हैं। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता है कि मैं इतने निचले स्तर तक भी नहीं जा सकता कि ऐसे आरोपों को खारिज करूं। उन्होंने कहा, इस सबके पीछे कोई बड़ी ताकत है। वे मुख्य न्यायाधीश के दफ्तर को बदनाम करना चाहते हैं।
जस्टिस गोगोई पर आरोप लगाने वाली पूर्व कर्मचारी ने एफिडेविट ने दो मौकों का जिक्र किया है। यह दोनों घटनाएं अक्टूबर 2018 की हैं। इससे एक दिन पहले ही जस्टिस गोगोई देश के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल संजीव सुधाकर कलगांवकर ने कहा, ‘महिला द्वारा लगाए गए सभी आरोप दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं।’
सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के आग्रह पर शनिवार को इस मामले में तत्काल सुनवाई की गई। कोर्ट ने मामले को न्यायपालिका की स्वायत्ता के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए सुनवाई की। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि वह मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक नही लगा रहे हैं, लेकिन उम्मीद करते हैं कि मीडिया तथ्यों को जांचे बगैर इस तरह के न्यायपालिका को निशाना बनाने वाले फर्जी आरोप नहीं छापेगा और जिम्मेदारी से काम करेगा। अदालत ने यह भी कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता गंभीर खतरे में है।
जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि वह अगले सप्ताह कुछ महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करने वाले थे, इसलिए उनको निशाना बनाया गया है। बता दें कि कोर्ट अगले सप्ताह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अवमानना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीवनी पर आधारित फिल्म और तमिलनाडु चुनाव पर सुनवाई करने वाला है। महिला की शिकायत पर उचित पीठ बाद मे सुनवाई करेगी।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि कोई भी मेरा खाता चेक कर सकता है। जज के तौर पर 20 वर्षों की निस्वार्थ के बाद मेरे बैंक खाते में 6.80 लाख रुपये हैं। क्या मेरे 20 वर्षों के कार्यकाल का यह ईनाम है। उन्होंने यह भी साफ किया कि वह सीजेआई के तौर पर काम करेंगे और बिना डरे अपने न्यायिक कार्यों का निर्वहन करेंगे। न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता है।