नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की राजनीति में 26 साल के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को सपा के संरक्षक मुलायम सिंह के साथ मंच साझा कर उन्हें चुनाव जीताने की अपील की. मायावती ने नरेंद्र मोदी को नकली पिछड़े वर्ग का बताकर ओबीसी की राजनीति को हवा दे दी है. बसपा अध्यक्ष ने मैनपुरी की रैली में मुलायम को जन्मजात और असली पिछड़ा नेता बताया. जबकि नरेंद्र मोदी को फर्जी ओबीसी करार दिया.
मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ही पिछड़े वर्गों के असली नेता हैं और जन्मजात पिछड़ी जाति के हैं. वह (मुलायम) पीएम नरेंद्र मोदी की तरह फर्जी पिछड़े वर्ग के नेता नहीं है. नकली व्यक्ति पिछड़े वर्गों का भला नहीं कर सकता है. पिछड़े वर्ग के नेता मुलायम सिंह यादव को आप जिताकर संसद भेजिए. इस चुनाव में असली और नकली के बीच पहचान करने की जरूरत है. नकली लोगों से धोखा खाने से बचें.
मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने समाज के हर वर्ग को अपने साथ जोड़ा है. खासकर पिछड़े वर्ग के लोगों को इन्होंने अपने साथ जोड़ा है. वह खुद भी पिछड़े वर्ग के हैं लेकिन मोदी की तरह नकली नहीं हैं. बसपा अध्यक्ष ने कहा कि नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी जाति को ओबीसी में शामिल कराया था. जबकि उनकी जाति सवर्ण जाति से है. मायावती ने कहा कि मोदी अपने नकली ओबीसी के नाम पर पिछले चुनाव में वोट मांगा था और प्रधानमंत्री बने थे.
मायावती के ओबीसी कार्ड पर इस दांव को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बढ़ाया. हालांकि अखिलेश ने मोदी का नाम नहीं लिया लेकिन इशारों में साफ कहा कि वो कागज से ओबीसी हैं. जबकि हम जन्म से पिछड़े हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र के सोलापुर की रैली में संबोधित करते हुए अपने आपको पिछड़ी जाति का बताते हुए कांग्रेस पर हमला किया था. मोदी ने कहा था, ‘पिछड़ा वर्ग की वजह से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.’ मोदी ने कहा था कि कांग्रेस के नामदार ने पहले चौकीदारों को चोर कहा, जब ये चला नहीं तो अब कह रहे हैं कि जिसका भी नाम मोदी है वो सारे चोर क्यों हैं. उन्होंने कहा था कि लेकिन वो इस बार इससे भी आगे बढ़ गए हैं और पूरे पिछड़े समाज को ही चोर कहने लगे हैं.
नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार अपनी जाति का जिक्र करते हुए अपने आपको ओबीसी बताया था. इस पर काफी राजनीतिक विवाद हुआ था. दरअसल नरेंद्र मोदी घांची जाति से आते हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए 2002 में अपनी जाति को ओबीसी में शामिल कराया था. उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी.
जबकि, बीजेपी नेताओं और गुजरात सरकार का दावा है कि घांची समाज को 1994 से गुजरात में ओबीसी का दर्जा मिला हुआ है. वहीं, गुजरात के कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने आरोप लगाया था कि मोदी ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए 2002 में अपनी जाति को ओबीसी में शामिल कराया.
मोदी की जाति
नरेंद्र मोदी घांची समुदाय से आते हैं, गुजरात में पहले सवर्ण जाति के तहत आते थे. जबकि बाकी राज्यों में साहू या तेली के नाम से जाना जाता है. इस समुदाय का मुख्य कारोबार तेल का व्यापार करना है. हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में तेली समुदाय के लोग हैं.
OBC का सियासी समीकरण
1990 के दशक के बाद देश की सियासत में ओबीसी समुदाय सत्ता बनाने और बिगाड़ने की राजनीतिक ताकत रखता है. मंडल कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक 54 फीसदी ओबीसी समुदाय की भागीदारी है. ऐसे में नरेंद्र मोदी खुद को जहां ओबीसी बताकर लोकसभा चुनाव की जंग एक बार फिर जीतना चाहते हैं. वहीं, बसपा अध्यक्ष मायावती और अखिलेश यादव ओबीसी कार्ड खेलकर अपना राजनीतिक समीकरण बनाना चाहते हैं.और मायावती का मैनपुरी में दिया गया बयान इसी दांव का हिस्सा है. मायावती के इस बयान का अखिलेश ने मंच से स्वागत किया.
2014 के लोकसभा चुनाव में ओबीसी समुदाय ने बड़ी तादाद में नरेंद्र मोदी के ओबीसी कार्ड पर बीजेपी को वोट किया था. इसका फायदा ये हुआ कि बीजेपी अपने राजनीतिक इतिहास में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में विराजमान हुई. इससे सपा, बसपा, आरजेडी और जेडीयू सहित तमाम राजनीतिक दलों का समीकरण पूरी तरह से गड़बड़ा गया था. हालांकि 2014 के बाद ओबीसी समुदाय में जातियों में नरेंद्र मोदी सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ी, जिसको आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बिहार के विधानसभा चुनाव में भुनाया था. इसका आरजेडी को फायदा और बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था.