नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव आज एक साथ एक मंच पर दिखाई देंगे. एक वक्त यूपी की राजनीति में ऐसा भी था जब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने एक साथ मिल कर सरकार बनाई थी. लेकिन वक्त बदला और दोनों पार्टियों के साथ साथ माया-मुलायम के बीच भी दरार आ गई.
मुलायम सिंह ने 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था. इसके एक साल बाद हुए चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने बीएसपी के साथ गठबंधन किया. इस गठबंधन ने बीजेपी को हरा दिया और यूपी में मुलायम सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी जो 1995 तक सरकार चली.
इस बीच कई मुद्दों पर कांशीराम और मुलायम सिंह के रिश्ते में कड़वाहट आ गई. कांशीराम बीएसपी के संस्थापक थे और उनके कहने पर मायावती ने एसपी से अपना गठबंधन तोड़ दिया. इस वजह से मुलायम सिंह यादव की सीएम की कुर्सी छिन गई. जिसके बाद गुस्साए समर्थकों ने मायावती पर हमला कर दिया. इस हमले के बाद कभी सरकारी कार्यक्रम में भी मायावती और मुलायम साथ नजर नहीं आए.
2 जून 1995 को मायावती बीएसपी के विधायकों के साथ लखनऊ के गेस्टहाउस के कमरा नंबर 1 में थीं. अचानक समाजवादी पार्टी समर्थक गेस्टहाउस में घुस आए. हमलावरों से जान बचाने के लिए खुद को बचाने के लिए मायावती कमरे में बंद हो गईं थीं.
इस कांड के बाद मायावती ने कभी समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव के साथ गठबंधन नहीं किया. मुलायम सिंह यादव भी मायावती का नाम भी लेने से बचते रहे. एक बार एक पत्रकार के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि जिसका (मायावती) का नाम आप ले रहे हैं मैं उसका नाम भी नहीं लेता हूं.
जनवरी 2019 में जब अखिलेश और मायावती के बीच गठबंधन हुआ तो मायावती ने इस कांड का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ”हमने बीजेपी को रोकने के लिए पहले भी गठबंधन किया था. ये गठबंधन कुछ गंभीर कारणों से ज्यादा दिनों तक नहीं चला. लेकिन अब जनहित को 2 जून 1995 के गेस्ट हाउस कांड से ऊपर रखते हुए हमने चुनावी समझौता करने का फैसला किया है.”
मायावती के बाद अखिलेश बोलने आए थे और उन्होंने कहा था कि मायावती का सम्मान मेरा सम्मान है. अगर कोई नेता मायावती का अपमान करता है तो एसपी कार्यकर्ता समझ लें कि वह मायावती का नहीं बल्कि मेरा अपमान है.