लखनऊ। बीजेपी से बगावत कर कांग्रेस का दामन थामने वाले शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी में आए महज चंद दिन ही हुए हैं कि कांग्रेस नेताओं की नाराजगी उनके खिलाफ सामने आने लगी है. शत्रुघ्न की पत्नी पूनम सिन्हा के खिलाफ लखनऊ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर उतरे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि कि शत्रु पार्टी धर्म निभाएं.
पत्नी के प्रचार पर भड़के आचार्य
बता दें कि शत्रुघ्न सिन्हा हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. कांग्रेस ने उन्हें बिहार की पटना साहिब सीट से उम्मीदवार बनाया है. जबकि उनकी पत्नी पूनम सिन्हा को सपा ने लखनऊ से राजनाथ सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा है. लखनऊ से कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णम को उतारा है.
लखनऊ लोकसभा सीट पर गुरुवार को शत्रुघ्न सिन्हा अपनी पत्नी पूनम सिन्हा के नामांकन और रोड शो में शामिल हुए, जो सपा उम्मीदवार हैं. इस पर कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद कृष्णम भड़क गए और कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा अपनी पत्नी के प्रचार के लिए आए हैं, मेरा उनसे कहना है कि वो पार्टी धर्म निभाएं और मेरे लिए चुनाव प्रचार करें.
बता दें कि लखनऊ से राजनाथ के खिलाफ सपा ने हाल ही बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा और कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णम को उतारकर राजनीतिक लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. हालांकि तीनों ही मुख्य राजनीतिक दल के उम्मीदवार लखनऊ से बाहर के हैं. लखनऊ लोकसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. यहां पर 1991 से लगातार बीजेपी का कब्जा है. सपा और बसपा इस सीट पर आज तक अपना खाता भी नहीं खोल सकी हैं.
राजनाथ लखनऊ सीट से दोबारा चुनावी मैदान में उतरे हैं. मंगलवार को उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल किया. राजनाथ सिंह मूलरुप से चंदौली के रहने वाले हैं. सपा ने कायस्थ मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए पूनम सिन्हा पर दांव खेला है. पूनम सिन्हा बिहार की पटना की रहने वाली हैं और मुंबई में रह रही हैं. वहीं, कांग्रेस ने ब्राह्मण और मुस्लिम समीकरण के जरिए राजनाथ को मात देने के लिए आचार्य प्रमोद कृष्णम पर भरोसा जताया है. लेकिन बीजेपी के दुर्ग को भेदना विपक्ष के इतना ही आसान नहीं है. प्रमोद कृष्णम यूपी के संभल के रहने वाले हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी ने लखनऊ संसदीय सीट पर 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 तक लगातार जीत दर्ज की थी. वाजपेयी को लखनऊ में न तो राजबब्बर मात दे सके, न ही मुजफ्फर अली और न ही राजा कर्ण सिंह. 2009 में बीजेपी से लाल जी टंडन ने इस सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. वाजपेयी के तर्ज पर ही राजनीतिक समीकरण को साधकर राजनाथ सिंह ने 2014 के सियासी जंग को फतह किया था और कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को करीब पौने तीन लाख वोटों से मात दी थी.