नई दिल्ली। चुनाव आयोग के 48 घंटे के बैन के बाद अब मायावती के सामने एक और नई परेशानी खड़ी हो गई है. उनके खिलाफ ऑल इंडिया रैगर महासभा ने दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में कहा गया है कि कि मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में अपनी तुलना भगवान श्री राम से की है. मायावती ने कहा कि अगर राम की मूर्ति सरकारी पैसे से लग सकती है तो उनकी क्यों नहीं?
A complaint has been filed in Delhi’s Tis Hazari Court by All India Raiger Mahasabha against BSP chief Mayawati for allegedly hurting religious sentiments by saying “if ruling Uttar Pradesh govt can make tall idol of Lord Rama with govt fund, then why can’t she make her own idol”
— ANI (@ANI) April 17, 2019
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने मूर्तियों पर पैसे खर्च करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के जवाब में दो अप्रैल को हलफनामा दाखिल किया था. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा था कि मेरी मूर्तियां जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हैं. मूर्तियों का निर्माण राज्य विधानसभा में पर्याप्त चर्चा के बाद बजट आवंटित करके किया गया था. कोर्ट विधायकों द्वारा बजट के संबंध में लिए गए निर्णयों पर सवाल नहीं कर सकता.
मायावती ने यह भी कहा था कि मूर्तियां जनता की इच्छा और जनादेश को दर्शाती हैं. विधानसभा के विधायक चाहते थे कि कांशी राम और दलित महिला के रूप में मायावती के संघर्षों को दर्शाने के लिए मूर्तियां स्थापित की जाएं. मायावती ने हलफनामे में कहा कि अन्य राजनीतिक पार्टियां भी राजनेताओं की मूर्तियां बनवाती हैं. यह उन राजनेताओं के प्रति चाह और समर्थन को दर्शाता है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपनी और हाथियों की मूर्तियां बनाने में जितना जनता का पैसा खर्च किया है, उसे वापस करना चाहिए. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में दायर रविकांत और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि मायावती को मूर्तियों पर खर्च सभी पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए.सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील को कहा कि अपने क्लाइंट को कह दीजिए कि सबसे वह मूर्तियों पर खर्च हुए पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराएं. उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के दौरान लखनऊ विकास प्राधिरकरण के सामने एक रिपोर्ट पेश हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बनाए गए पार्कों पर कुल 5,919 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे.
रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी की पत्थर की 30 मूर्तियां जबकि कांसे की 22 प्रतिमाएं लगवाई गईं थी. इसमें 685 करोड़ का खर्च आया था. इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इन पार्कों और मूर्तियों के रखरखाव के लिए 5,634 कर्मचारी बहाल किए गए थे.