राजेश श्रीवास्तव
लखनऊ । मंगलवार को भाजपा की ओर से लखनऊ से नामांकन करने जा रहे राजनाथ सिंह के नामांकन जुलूस में उमड़ा जनसैलाब यह नारा गढ़ रहा था कि कहां फंसे हो चक्कर में, कोई नहीं है टक्कर में। उनके इस नारे पर शाम होते-होते समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मुहर लगा दी। राजनीतिक विश्लेषक इस उम्मीद में थ्ो कि विपक्ष की ओर से संयुक्त रूप से कोई सशक्त ब्राह्मण उम्मीदवार मैदान में उतरेगा। लेकिन उनके इस कयास को शाम होते-होते दोनों दलों ने गलत साबित कर दिया।
महागठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी ने जिन पूनम सिन्हा पर अपना दांव लगाया है। वह खत्री और कायस्थ वोटों आंकड़ों के लिहाज से भले ही सही साबित हो रहा हो पर धरातल पर परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं हैं कारण वह कांग्रेस पर हमलावर नहीं हो पायेंगी क्योंकि बिहार की पटना साहिब सीट से उनके पति शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस की सीट पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के प्रति वह बहुत हमलावर नहीं हो पाएंगी। दूसरा कारण यह है कि लखनऊ में समाजवादी पार्टी का मतदाता बेहद अधिक जुृड़ाव नहीं रखता है।
जबकि कांग्रेस ने जब-जब यहां से अपना मजबूत प्रत्याशी उतारा उसने भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश की है। बीते चुनाव में भी महज कुछ दिन पहले ही मैदान में उतरीं तबकी कांग्रेसी प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी ने राजनाथ को कड़ी टक्कर दी थी। इससे पहले भी राजबब्बर, कांग्रेस के कर्ण सिंह सरीख्ो तमाम उम्मीदवार भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश कर चुके हैं। लेकिन इस बार कांग्रेस ने जिन आचार्य प्रमोद कृष्णम पर अपना दांव आजमाया है। वह बेहद कमजोर प्रत्याशी साबित होते दिखायी देते हैं।
आचार्य प्रमोद कृष्णम मीडिया व अन्य मंचों से भाजपा की मुखालफत तो करते दिखायी देते हैं लेकिन आम जनता से उनका जुड़ाव बेहद कम है। लखनऊ की जनता को वह कितना प्रभावित कर पाएंगे, यह तो समय बतायेगा।
इन दोनों की दावेदारी के चलते अब भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी और देश के गृह मंत्री राजनाथ सिह की राह बेहद आसान होती दिख रही है। उनके सामने अब कोई ऐसी चुनौती नहीं है जिससे उनको बड़ी रणनीति बनाने को विवश होना पड़े। या फिर अन्य क्ष्ोत्रों को छोड़ कर उन्हें अपने क्ष्ोत्र में ही स्थायी रूप से रहना पड़े। उनके रणनीतिकार और उनके समर्थक ही इस चुनौती से निपटने में सहायक साबित हो सकते हैं।
संयुक्त प्रत्याशी न उतारना भी पड़ेगा महंगा
समाजवादी पार्टी के अनुरोध के बावजूद कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतार कर भाजपा की राह बेहद आसान कर दी है। बल्कि यूं कहें कि उसे वॉक ओवर दे दिया है तो अतिशयोक्ति न होगी क्योंकि अगर संयुक्त उम्मीदवार के रूप में भी अगर पूनम सिन्हा दावा ठोंकती तो शायद कुछ चुनौती पेश कर सकती थीं पर अलग-अगल लड़ने पर वह कितनी बड़ी टक्कर दे पायेंगी यह भी देखने वाली बात होगी।
कांग्रेस से उतरतीं पूनम तो हो सकती थीं अधिक मुफीद
यदि शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा कांग्रेस से दावेदारी ठोंकती तों शायद ज्यादा मुफीद साबित होतीं। क्योंकि पति-पत्नी दोनों को एक ही दल से ताल ठोंकने में मैदान में दिक्कत पेश नहीं होती। साथ ही शहरी मतदाता का वह वर्ग जो भाजपा से नाराज है वह उनसे जुड़ सकता था। लेकिन समाजवादी पार्टी के साथ कितना प्रतिशत यह शहरी मतदाता जुड़ेगा, यह बड़ी चुनौती है। 2०14 के चुनाव में राजनाथ सिह को लखनऊ सीट पर 1०,०6,483 वोट और दूसरे स्थान पर कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को 2, 88,357 वोट मिले थे। जबकि सपा काफी पीछे रह गयी थी।