इस समय भारत में आम चुनाव के बावजूद भी क्रिकेट का बुखार तेज है.वहीं इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में एमएस धोनी भी कम चर्चा में नहीं हैं. हाल ही में कैप्टन कूल राजस्थान के खिलाफ मैच अपना आपा खोने के कारण सुर्खियों में रहे. इस घटना पर धोनी की आलोचना भी हुई और उनपर मैच फीस का फाइन भी लगा. वहीं राजस्थान टीम के ही कीवी लेग स्पिनर ईश सोढी का मानना है कि टी20 मैच की रफ्तार कम करके मैच हालात पर काबू रखने की महेंद्र सिंह धोनी की काबिलियत से सभी को सीखना चाहिए.
हालिया खराब प्रदर्शन के बाद भी धोनी की तारीफ
इंडियन प्रीमियर लीग के दौरान ही मई माह के अंत में शुरू होने वाले आईसीसी वर्ल्डकप के लिए टीम इंडिया की घोषणा ने भी इस बुखार को बढ़ा दिया है. हाल ही में धोनी के खराब फॉर्म की आलोचना भी हुई थी. उनके रिटायरमेंट की अटकलों को भी बल मिला था. टीम में धोनी की एक मेंटर के तौर भी भूमिका है. उनकी क्रिकेट की समझ के सब कायल हैं अब सोढ़ी ने भी कहा है कि टी20 क्रिकेट की अपनी गति है और धोनी की क्रिकेट की समझ इतनी उम्दा है कि वह इसे कम करने का माद्दा रखते हैं.
यह सीखना चाहते हैं सोढ़ी धोनी से
राजस्थान की टीम को बेशक धोनी का यूं आपा खोना रास नहीं आया होगा. इसके बाद भी धोनी की तारीफ करते हुए सोढी ने कहा, ‘‘हर किसी को अपनी भूमिका के बारे में स्पष्ट रहना चाहिए. खेल की गति कम करने की कला और मैं धोनी को देखकर सीख रहा हूं और इसके लिए मैं उनका कायल हूं. उन्हें पता है कि कब क्या करना है और वे अपने लक्ष्य में कामयाब रहते हैं.’’
विरोधियों को होती है यह समस्या
धोनी की रणनीति की पूरी दुनिया कायल है. वे टी20 और वनडे मैचों को अपने हिसाब से नियंत्रित कर चलते हैं, खासकर जब उनकी टीम चेज कर रही हो. सोढ़ी ने माना कि इस तरह से सारे मैच भले ही नहीं जीत सकें लेकिन इससे कड़ी चुनौती देने में मदद मिलती है. उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह हर मैच भले ही नहीं जीते जा सकते लेकिन मुकाबले करीबी होंगे और लगातार अच्छे प्रदर्शन में मदद मिलेगी.’’
खुद के बारे में यह राय है सोढ़ी की
तीनों प्रारूपों में 123 अंतरराष्ट्रीय विकेट लेने के बावजूद सोढी खुद को अनुभवहीन मानते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं 26 साल का हूं और काफी क्रिकेट खेला है लेकिन अभी भी अनुभव की कमी है. मैं अपने खेल में लगातार सुधार कर रहा हूं. मैं लंबे समय तक राजस्थान रायल्स और न्यूजीलैंड के लिये अच्छा खेलना चाहता हूं. मेरा लक्ष्य कल या परसों नहीं बल्कि दीर्घकालिन है.’’