नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बिहार की पांच लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान होना है. इस दौर में किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका लोकसभा सीटें शामिल हैं, ये बिहार के सीमांचल इलाके की सीटें हैं. 2014 में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी इन सीटों पर कमल नहीं खिला सकी थी. महागठबंधन का इस इलाके में दबदबा है. ऐसे में बीजेपी नीतीश कुमार के सहारे इस इलाके को भेदने के कवायद में है तो महागठबंधन के सामने अपने दुर्ग को बचाए रखने की चुनौती है.
2014 के लोकसभा चुनाव में इन पांच लोकसभा सीटों में से बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी. जबकि आरजेडी को दो, कांग्रेस को एक, एनसीपी को एक, जेडीयू को एक सीट मिली थी. इस बार के सियासी संग्राम में बीजेपी ने सीट शेयरिंग में यह सभी सीटें जेडीयू को दे दी हैं. जबकि महागठबंधन में कांग्रेस तीन सीटों पर और आरजेडी दो सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी है. ऐसे में बिहार के दूसरे चरण की सियासी जंग नीतीश कुमार बनाम राहुल गांधी के बीच है.
किशनगंज: त्रिकोणीय मुकाबला
किशनगंज लोकसभा सीट मुस्लिम बहुल मानी जाती है, इसीलिए तमाम राजनीतिक दलों ने मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. कांग्रेस से डॉ. मोहम्मद जावेद, जेडीयू से सईद महमूद अशरफ और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) अख्तरुल इमान समेत 14 उम्मीदवार मैदान में है. लेकिन यहां का सियासी मुकाबला कांग्रेस, जेडीयू और AIMIM त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है. 2014 में किशनगंज से असरार-उल-हक कासमी ने जीत दर्ज की थी.
कटिहार: कांग्रेस बनाम जेडीयू
कटिहार की सियासत तारिक अनवर के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के तारिक अनवर और एनडीए की ओर से जेडीयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी समेत 9 प्रत्याशी मैदान में हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस बनाम जेडीयू के बीच होता नजर आ रहा है. एनसीपी से कांग्रेस में आए तारिक अनवर मुस्लिम, यादव और दलित के सहारे जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं. जबकि जेडीयू सवर्ण और ओबीसी मतों के सहारे संसद पहुंचने के जुगत में है. 2014 के लोकसभा चुनाव में तारिक अनवर ने एनसीपी उम्मीदवार को तौर पर जीत हासिल की थी.
बांका: जेडीयू के लिए बागी बनी मुसीबत
बांका लोकसभा सीट पर कुल 20 उम्मीदवार मैदान में हैं. जेडीयू से गिरिधारी यादव मैदान में हैं, जिनका मुकाबला आरजेडी के दिग्गज नेता और मौजूदा सांसद जय प्रकाश नारायण यादव से है. बीजेपी से बागवत कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पुतुल कुमारी के उतरने से जेडीयू के समीकरण पूरी तरह से बिगड़ते नजर आ रहे हैं. पुतुल कुमार इस सीट से सांसद रह चुकी हैं और पूर्व विदेश राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह की पत्नी हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में पुतुल कुमारी आरजेडी के जय प्रकाश नारायण यादव से महज 10 हजार वोटों से हार गई थीं.
पूर्णिया: कांग्रेस बनाम जेडीयू
पूर्णिया लोकसभा सीट से कांग्रेस ने उदय सिंह और जेडीयू ने मौजूदा सांसद संतोष कुमार कुशवाहा को मैदान में उतारा है. उदय सिंह बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है. ऐसे में एक बार फिर सियासी मुकाबला 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह ही नजर आ रहा है. पिछले चुनाव में इन्हीं दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक लड़ाई हुई थी, जिसमें कांग्रेस के अमरनाथ तिवारी के चलते उदय सिंह को कुशवाहा के हाथों मात खानी पड़ी थी. हालांकि इस बार सियासी समीकरण बदल गए हैं और कांग्रेस से उदय सिंह उतरकर यादव, मुस्लिम और राजपूत मतों के सहारे जीत की आस लगाए हुए हैं.
भागलपुर: मंडल बनाम मंडल की जंग
भागलपुर लोकसभा सीट मोदी लहर में भी बीजेपी जीत नहीं सकी थी. इस बार सीट शेयरिंग में जेडीयू के खाते में गई है. भागलपुर लोकसभा सीट से आरजेडी ने मौजूदा सांसद शैलेश कुमार उर्फ बूलो मंडल और जेडीयू ने अजय कुमार मंडल सहित 9 प्रत्याशी मैदान में है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन को आरजेडी के शैलेष कुमार मंडल ने 9,485 मतों से जीत हासिल की थी. हालांकि इस बार की सियासी जंग मंडल बनाम मंडल के बीच होती नजर आ रही है.