पटना। लोकसभा चुनाव 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए शानदार चुनावी अभियान की जिम्मेदारी संभालने से लेकर नीतीश कुमार की पार्टी के डिप्टी बनने वाले प्रशांत किशोर राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव की किताब के जरिए उठा विवाद बढ़ता जा रहा है। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने अपनी बायोग्राफी ‘गोपालगंज टु रायसीना: माइ पॉलिटिकल जर्नी’ में दावा किया है कि नीतीश ने महागठबंधन में वापसी के लिए कई बार अपने विश्वासपात्र प्रशांत किशोर (पीके) को उनके पास दूत बनाकर भेजा था।
इसपर प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर नराजगी जाहिर की है। प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया, ‘लालू यादव जी जब चाहें मेरे साथ मीडिया के सामने बैठ जाएं, सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने क्या ऑफर दिया।’
Those convicted or facing charges of abuse of public office and misappropriation of funds are claiming to be the custodians of truth.@laluprasadrjd जी जब चाहें, मेरे साथ मीडिया के सामने बैठ जाएं, सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने किसको क्या ऑफर दिया।
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) April 13, 2019
बता दें कि बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने दावा किया था कि प्रशांत किशोर ने उनके पति लालू प्रसाद से भेंट करके यह प्रस्ताव रखा था कि राजद और नीतीश कुमार के जद(यू) का विलय हो जाए और इस प्रकार बनने वाले नए दल को चुनावों से पहले अपना ‘प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार’ घोषित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर किशोर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से इस प्रस्ताव को लेकर मुलाकात करने से इनकार करते हैं तो वह सफेद झूठ बोल रहे है। राजद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राबड़ी देवी ने कहा, ‘‘मैं इससे बहुत नाराज हो गई और उनसे निकल जाने को कहा क्योंकि नीतीश के धोखा देने के बाद मुझे उन पर भरोसा नहीं रहा।’’ राबड़ी देवी बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी हैं।
साल 2017 में नीतीश कुमार राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में शामिल हो गए थे। राबड़ी देवी ने कहा, ‘‘हमारे सभी कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी इस बात के गवाह हैं कि उन्होंने हमसे कम से कम पांच बार मुलाकात की। इनमें से अधिकांश तो यहीं (दस सर्कुलर रोड) पर हुईं और एक-दो मुलाकात पांच नंबर (पांच देशरत्न मार्ग-छोटे पुत्र तेजस्वी यादव के आवास) पर हुईं।’’
कुमार के इस दावे, कि राजद सुप्रीमो जेल से ही किशोर से बात करते रहे हैं, पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि हम (परिवार के सदस्य) लोगों को भी उनसे (लालू प्रसाद) फोन पर बात करने का मौका नहीं मिलता है और अनंत सिंह के दावे का क्या जो कहते हैं कि उनके जेल में रहने के दौरान ललन सिंह (मंत्री) नीतीश से टेलीफोन पर बातचीत करवाते थे। माफिया डॉन से राजनीतिज्ञ बने मोकामा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले अनंत सिंह पहले कुमार के निकट थे पर 2015 के चुनाव से पहले उनके रिश्ते खराब हो गए।
अनंत सिंह ने यह दावा एक स्थानीय न्यूज पोर्टल को दिए साक्षात्कार में किया था। हाल में प्रकाशित अपनी आत्मकथा में प्रसाद ने दावा किया था कि जद (यू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किशोर ने नीतीश कुमार के दूत के तौर पर उनसे मुलाकात की थी और यह प्रस्ताव रखा था कि मुख्यमंत्री की पार्टी को महागठबंधन में फिर से शामिल कर लिया जाए।
बीते साल सितम्बर में जद(यू) के पूर्ण सदस्य बने किशोर ने प्रसाद के इस दावे के बाद ट्विटर पर स्वीकार किया था कि उन्होंने जद(यू) की सदस्यता लेने से पूर्व प्रसाद से कई बार मुलाकात की थी। हालांकि, किशोर ने यह भी कहा कि अगर वह यह बताएंगे कि किस बात पर चर्चा हुई थी तो उन्हें (प्रसाद को) शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है।