नई दिल्ली। मध्य प्रदेश और दिल्ली में हाल ही में हुई आयकर विभाग की छापेमारी से राजनीतिक गलियारों में हलचल है. अब इस पर चुनाव आयोग ने भी सख्ती दिखाई है. आयोग ने वित्तीय जांच एजेंसियों को कहा है कि किसी भी छापेमारी से पहले चुनाव आयोग को भी सूचित करें. छापेमारी कांग्रेस नेताओं के करीबियों के घर पर हुई थी, जिसे विपक्षी पार्टियों ने बदले की कार्रवाई करार दिया था.
चुनाव आयोग के सूत्रों की मानें मध्य प्रदेश में जो छापेमारी आयकर विभाग ने की थी, उसके बारे में EC को जानकारी ही नहीं थी. ना सिर्फ केंद्रीय चुनाव आयोग बल्कि प्रदेश के निर्वाचन अधिकारी को भी इसके बारे में किसी तरह की सूचना नहीं दी गई थी.
चुनाव आयोग ने जांच एजेंसियों को दो टूक कह दिया है कि चुनाव आचार संहिता लागू है ऐसे में भ्रष्टाचार से संबंधित किसी भी रेड या कार्रवाई की जानकारी वो चुनाव आयोग या राज्य के निर्वाचन अधिकारी से साझा करें.
चुनाव आयोग की सख्ती पर आयकर विभाग का कहना है कि आचार संहिता और कार्रवाई से पहले आयोग को लूप में रखने की बात उन्हें पता है. इस पर EC ने दो टूक कहा कि जब इस बात की जानकारी आपको थी तो फिर बताया क्यों नहीं गया.
बता दें कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी. इस छापेमारी में कैश, करोड़ों रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी. इसके अलावा 20 करोड़ रुपये के हवाला का भी मामला सामने आया था, जिसके तार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के अकाउंटेंट से जुड़े थे. इतना ही नहीं प्रवीण कक्कड़ के करीबी के घर से टाइगर की खाल और अवैध हथियार भी बरामद किए गए थे.
इस छापेमारी को कांग्रेस ने केंद्र सरकार की बौखलाहट बताया था और सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी पार्टियों पर दबाव बनाने का आरोप लगाया था. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक सभा में भी इस छापेमारी का जिक्र करते हुए कहा था कि जो लोग चौकीदार को चोर कह रहे थे, उनके दरबारियों के घर से ही नोटों के बंडल निकल रहे हैं.