नई दिल्ली। अलग-अलग मंचों से एक दूसरे को कोसने के बाद लोकसभा चुनाव आते ही एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे लातूर में एक मंच पर नजर आएंगे. ऐसा तीन साल बाद हो रहा है जब दोनों नेता एक मंच साझा कर रहे हों.
इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे ने दिसंबर 2016 में मंच साझा किया था. उस वक्त अरब सागर के तट पर छत्रपति शिवाजी महाराज के स्मारक की आधारशिला रखने के लिए दोनों नेता पहुंचे थे.
हालांकि, महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन के बाद दोनों पार्टियों के नेताओं के सुर बदल गए हैं, लेकिन इसके पहले तीन साल तक दोनों एक दूसरे को कोसने से नहीं चूक रहे थे. यहां तक कि शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने तो शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर तीखी टिप्पणियां भी की थीं.
मोदी-उद्धव की सभा के क्या हैं मायने…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की लातूर और उस्मानाबाद से गठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में लातूर के औसा में जनसभा हो रही है. इन जिलों में 18 अप्रैल को मतदान होना है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी और शिवसेना लोकसभा चुनाव में साथ खड़े हैं यह बात जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुंचाने के लिए मोदी और उद्धव यहां जनसभा कर रहे हैं.
यही नहीं, लातूर और उस्मानाबाद कांग्रेस का गढ़ रहा है. जिसे जीतने के लिए बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंकना चाहती है. वैसे तो 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते लातूर लोकसभा सीट से बीजेपी सुनील गायकवाड़ चुनाव जीते थे. लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला. उनकी जगह लातूर सीट से सुधाकर तुकाराम श्रंगारे को चुनाव मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला इस बार कांग्रेस ने कामंत मछिंद्र से है.
तो वहीं 2014 में उस्मानाबाद से शिवसेना के रविंद्र गायकवाड़ सांसद चुने गए थे. हालांकि, इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है. उस्मानाबाद सीट से शिवसेना ने ओमरोज निंबालकर को उम्मीदवार घोषित गया है तो वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने रणजगीत सिंह पद्मसिंह पाटिल को टिकट दिया है.