एक वक्त था जब राहुल द्रविड़ को भरोसे मंद के नाम से जानते थे और उनके जाने के बाद भारतीय क्रिकेट में लोग संकट के समय में महेंद्र सिंह धोनी पर सबसे ज्यादा भरोसा करते है. जब भी टीम मश्किल में हो और मैदान में धोनी हो तो सब बस यह कहते है कि माही है सब ठीक हो जाएगा. जब जब जरूरत पड़ी तब तब महेंद्र सिंह धोनी ने टीम को संकट से निकाला और टीम को जीत दिलाई. वर्ल्ड कप 2011 में भी एक वक्त ऐसा आया जब सभी की सांसे थम गई थी कि क्या भारत मैच जीत पाएगा या नहीं. तब धोनी ने भारत को संकट से निकालते हुए जीत दिलाई. फाइनल मैच में धोनी का वह छक्का शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी भूल पाए. तब भारत को जीत के लिए 11 गेंदों पर 4 रन चाहिए थे, तब धोनी ने नुआन कुलसेकरा की गेंद लगाकार कप को भारत के नाम कर दिया था.
2 अप्रैल 2011 का दिन था. भारत और श्री लंका के बीच वर्ल्ड कप का फाइनल मैच हो रहा था. श्री लंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 274 रन बनाए. श्री लंका की तरफ से महेला जयवर्द्धने ने 103 रन की शतकीय पारी खेली. वहीं कुमार संगाकारा 2 रन से अपना अर्द्ध शतक बनाने से चूक गए. श्री लंका ने अपनी पारी में 5 विकेट ही खोए. भारत की तरफ से जहीर खान और युवराज सिंह ने 2-2 विकेट लिए. जयवर्द्धने और संगाकारा को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज ज्यादा बड़ा स्कोर नहीं कर पाया.
ओपनर के पवेलियन जाते ही थम गईं सांसे
लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही और उसने 31 रन के ही स्कोर पर अपने दोनों ओपनर बल्लेबाजों के विकेट खो दिए. यह ऐसा वक्त जब सभी की सांसे थम सी गई थीं. गौतम गंभीर और विराट कोहली ने पारी को संभाला और तीसरे विकेट के लिए 83 रन की की साझेदारी की. कोहली के पवेलियन लौटने के बाद अब सबकी उम्मीदें कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी पर ही टिकी थी.
धोनी ने संभाला मोर्चा
धोनी सभी क्रिकेट प्रेमी की उम्मीदों में खरे उतरे और उन्होंने गौतम गंभीर के साथ मिलकर चौथे विकेट के 109 रन की साझे दारी की. गौतम 97 रन बना कर परेरा का शिकार बने. गंभीर के आउट होने के बाद धोनी ने यवराज के साथ मिलकर 54 रन की साझेदारी की. धोनी ने 79 गेंदों में 8 फोर और 2 सिक्स की मदद से 91 रन बनाकर नाबाद लौटे. नुआन की गेंद पर धोनी का वह छक्का जिसने भारत को वर्ल्ड कप दिलाया उसे कितने दिनों बाद भी देखा जाए ऐसा प्रतीत होता है कि आज की ही बात है और उसे कोई कभी नहीं भूल सकता.