वाराणसी। कांग्रेस महासचिव और पूर्वी यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने भले ही मजाक में यह सवाल पूछे हैं कि “वाराणसी से चुनाव लड़ जाऊं क्या?, लेकिन इसके मायने बहुत गूढ़ हैं. राजनीतिक विश्लेषक और राजनीतिक लोग इसके निहितार्थ ढूंढने लगे हैं और यह कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रियंका सचमुच वाराणसी से चुनाव लड़ सकती हैं. अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा? सियासी गलियारे में चर्चा है कि वाराणसी से प्रियंका गांधी कांग्रेस और महागठबंधन की संयुक्त उम्मीदवार बन सकती हैं.
दरअसल, 2014 के चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी को वाराणसी सीट से 5,81,122 वोट मिले थे. जबकि, अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस के अजय राय और बीएसपी के विजय प्रकाश जायसवाल को 3,45,431 वोट मिले थे, यानि पीएम मोदी की जीत का मार्जिन करीब 2 लाख से अधिक था. कांग्रेस को लगता है कि अगर इस सीट से प्रियंका गांधी विपक्ष की ओर से इकलौती उम्मीदवार बनती हैं तो वह (प्रियंका) पीएम मोदी को कड़ी टक्कर दे सकती हैं. वैसे इस सीट से भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण के भी चुनाव मैदान में आने की उतरने की चर्चा है.
इंडिया टुडे को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रियंका गांधी के वाराणसी से चुनाव लड़ने की खबर जानबूझकर लोगों के बीच फैलाई जा रही है. इसके पीछे कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व का मकसद पूर्वांचल में अपने संगठन को मजबूत करने के साथ ही सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को एक मैसेज देना है. अगर प्रियंका, मोदी के खिलाफ मैदान में उतरती हैं तो पूरे प्रदेश में मैसेज जाएगा कि बीजेपी और पीएम मोदी का मुकाबला कांग्रेस कर रही है. अब गेंद गठबंधन के पाले में है कि वह प्रियंका के पीछे खड़े होकर वाराणसी में पीएम मोदी को घेरने की कोशिश करता है या फिर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाता है.
जानिए क्या कहते हैं काशीवासी
प्रियंका गांधी के वाराणसी से मैदान में उतरने की अटकलों पर आजतक ने वाराणसी के लोगों की प्रतिक्रिया जानी. स्थानीय निवासी रामबाबू श्रीवास्तव कहते हैं कि प्रियंका गांधी के चुनाव में वाराणसी से उतरने पर अभी उनको काशीवासियों का प्यार नहीं मिलेगा, अभी उनको और 5-10 साल का वक्त लगेगा. जहां तक चंद्रशेखर रावण का वाराणसी से चुनाव लड़ने का सवाल है तो वे पश्चिमी यूपी के नेता है, उनकी वाराणसी में पहचान तक नहीं है. मोदी जी ने वाराणसी में इतना काम किया है कि यहां के बच्चे-बच्चे के दिलों में मोदी बसे है. अब उनके सामने कोई भी गठबंधन या भीम आर्मी तक ही आ जाए कोई फर्क नहीं पड़ता. मोदी जी को कोई हराने वाला नहीं है.
काशी के ही रहने वाले अनूप कहते हैं कि बनारस से कांग्रेस का जन्म जन्मांतर का प्यार है, लेकिन सभी को प्रयासरत रहना चाहिए. मोदी जी की एक अलग छवि है और प्रियंका गांधी की भी अलग छवि है. प्रियंका गांधी अभी और आगे भी प्रयासरत रहेंगी. छोटी-मोटी गलतियां हो जाती है. जैसे उन्होंने शास्त्री को माला पहनाया था. फिर उन्होंने खंडन भी किया. भीम आर्मी के चंद्रशेखर का नाम पहली बार सुन रहें हैं. तमाम पार्टी भीम आर्मी को समर्थन का दावा कर रही है, लेकिन अभी तक सामने आकर किसी ने घोषणा नहीं की है.
वाराणसी के ही अब्दुल सलाम कहते हैं कि प्रियंका लड़े तो अच्छी बात है, लेकिन मोदी को हराना मुश्किल है. प्रियंका लड़ती है तो टक्कर का मुकाबला होगा. अभी जो कांग्रेस तीसरे नंबर पर है वे दूसरे नबंर पर आ जायेगी. डूबती कांग्रेस फिर से उबरेगी. जब केजरीवाल पर भरोसा किया जा सकता है तो प्रियंका गांधी का तो नाम इतना है. प्यार मिलेगा प्रियंका को.
वाराणसी की ही रहने वाली शिवांगी यादव कहती हैं कि बनारस की जनता मोदी के भेड़चाल में हो चूकी है तो प्रियंका गांधी को काशीवासियों का प्यार नहीं मिल पायेगा. मोदी को ही लोग जीतायेंगे. प्रियंका गांधी का कोई चांस नहीं है. भीम आर्मी के चंद्रशेखऱ का नाम तक नही सुना है, नहीं जानते हैं. .
वहीं, स्थानीय निवासी रविकांत त्रिपाठी ने कहा कि प्रियंका के आने से थोड़ी टक्कर होगी बनारस में. विकास तो किया है मोदी ने, लेकिन ये विकास के नाम पर धोखा है. वीआईपी रोड पर भी गड्ढे है. वायर खुले हैं. सभी काम पेपर पर हुआ है. रोड पर नहीं. प्रियंका को बनारस से प्यार मिलने की उम्मीद है. मोदी के टक्कर में प्रियंका ही हैं.