नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को कांग्रेस लखनऊ से चुनाव लड़ाना चाह रही है, लेकिन वह अपनी परंपरागत सीट धौरहरा से ही लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. धौरहरा से लखनऊ संसदीय क्षेत्र के लिए नाम प्रस्तावित किए जाने के बाद जितिन प्रसाद आज 50 गाड़ियों के काफिले के साथ लखनऊ के लिए रवाना हुए. सीतापुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि धौरहरा संसदीय क्षेत्र के लोगों की भावनाएं और दर्द को मैं बयां नहीं कर सकता.
जितिन प्रसाद ने कहा, मैं केंद्रीय नेतृत्व को यह बताना चाहता हूं कि यहां के लोगों का जुड़ाव मुझसे है और इस जुड़ाव की वजह से यदि मुझे यहीं से लड़ाया जाता है तो बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि 15 साल तक मैंने क्षेत्र के लोगों के साथ मिलकर काम किया है उनकी संवेदना से मैं जुड़ा हुआ हूं. यदि मुझे लखनऊ से लड़ने के लिए कहा जाता है तो हाईकमान का निर्णय होगा लेकिन मेरा प्रस्ताव यही है कि मुझे धौरहरा संसदीय क्षेत्र से अवसर प्रदान किया जाए. अपने समर्थकों के साथ सीतापुर पहुंचे जितिन प्रसाद ने धौरहरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की पैरवी भी की. बड़ी बात यह है कि जिस लखनऊ सीट से जितिन प्रसाद के लोकसभा चुनाव लड़ने की बात चल रही है, वहां से बीजेपी ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को उम्मीदवार बनाया है.
कौन हैं जितिन प्रसाद
जितिन प्रसाद राजनीतिक घराने से हैं. उनके पिता जितेन्द्र प्रसाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं. उनके पिता उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष(1995) भी रहे हैं. साथ ही वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. जितिन प्रसाद को राजनीतिक जमीन बचपन से ही मिली. उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा दून पब्लिक स्कूल (देहरादून, उत्तराखंड) से की और बाद में स्नातक में दिल्ली विश्विवद्यालय से बी.कॉम किया. इसके बाद जितिन ने अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान (दिल्ली) से MBA किया है.
2001 में वह सक्रिय रूप से राजनीति में आए. 2001 में वह युवा कांग्रेस के सचिव बने और फिक 2004 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा. जितिन प्रसाद ने अपना पहला लोकसभा चुनाव अपने गृह लोकसभा सीट शाहजहांपुर से लड़ा और जीत दर्ज की. इसके बाद पहली बार जितिन प्रसाद को 2008 में केन्द्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया गया.
इसके बाद 2009 में वह धौरहारा लोकसभा सीट से लड़े और भारी बहुमत से जीते. इसके बाद उन्हें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और केन्द्रीय राज्यमंत्री जैसे कई बड़े जिम्मेदारी दी गई.