पटना। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के विजयी रथ को रोकने के लिए महागठबंधन की परिकल्पना की गई थी. इसे हकीकत में भी बदला गया था. सबसे पहले 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने मिलकर इसे आकार दिया था और बीजेपी के रथ को बिहार में रोक दिया था. परिस्थिति बदली और बिहार में जारी इस गठजोड़ से नीतीश कुमार अलग हो गए.
एकबार फिर देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंका जा चुका है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने महागठबंधन किया है. ठीक उसी तरह बिहार में भी कांग्रेस और आरजेडी के साथ कई छोटे-छोटे दल आए हैं. सीट शेयरिंग को लेकर संख्या स्पष्ट किया जा चुका है, लेकिन सीटों को लेकर पेच फंसा हुआ है.
सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, आरजेडी के रवैये से कांग्रेस नाखुश है. इसको लेकर दिल्ली में कल यानी बुधवार को देर रात तक पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई. इस बैठक में लगभग सभी नेताओं ने आरजेडी के रवैये के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है. साथ ही कई नेताओं ने महागठबंधन से अगल होने की वकालत भी की.
आज (गुरुवार) को बिहार कांग्रेस के आला नेताओं की राहुल गांधी से मुलाकात होनी है. इस मुलुकात के दौरान बिहार के तमाम पहलुओं के बारे में उन्हें अवगत कराया जाएगा. अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या राहुल गांधी बिहार कांग्रेस के नेताओं की वकालत को तरजीह देते हुए महागठबंधन खत्म करने का फैसला लेंगे, या फिर किसी भी परिस्थिति में इसे जारी रखने की बात कहेंगे. ज्ञात हो कि तीन राज्यों में मिली जीत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष साफ शब्दों में कह चुके हैं कि हम (कांग्रेस) अब बैकफुट पर नहीं खेलेंगे.