मसूद अज़हर पर UNSC का चीन को चेतावनी, कहा-दूसरी कार्रवाई के विकल्प खुले हैं

नई दिल्ली। पुलवामा हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने जैश सरगना मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के लिए 27 फरवरी को प्रस्ताव पेश किया था जिसके पास होने से ठीक 60 मिनट पहले आखिरी पलों में चीन ने यह कहते हुए अड़ंगा लगा दिया कि जांच के लिए और वक्त चाहिए। ​इसके बाद सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने चीन को चेतावनी दे दी है। चीन से कहा गया है कि अगर वो मसूद अज़हर को लेकर अपने रुख को नहीं बदलेगा तो दूसरी कार्रवाई के विकल्प खुले हैं। सुरक्षा परिषद के एक दूत ने चीन को असामान्य कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘यदि चीन इस कार्य में बाधा पैदा करना जारी रखता है, तो जिम्मेदार सदस्य देश सुरक्षा परिषद में अन्य कदम उठाने पर मजबूर हो सकते हैं। ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए।’’ दूत ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर यह कहा।

सुरक्षा परिषद में एक अन्य दूत ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘चीन ने चौथी बार सूची में अजहर को शामिल किए जाने के कदम को बाधित किया है। चीन को समिति को अपना वह काम करने से रोकना नहीं चाहिए, जो सुरक्षा परिषद ने उसे सौंपा है।’’ संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में होने वाला विचार- विमर्श गोपनीय होता है और इसलिए सदस्य देश सार्वजनिक रूप से इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते। इसलिए दूतों ने भी अपनी पहचान गोपनीय रखे जाने का आग्रह किया।

दूत ने कहा, ‘‘चीन का यह कदम आतंकवाद के खिलाफ लड़ने और दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के उसके स्वयं के बताए लक्ष्यों के विपरीत है।’’ उन्होंने पाकिस्तान की जमीन पर सक्रिय आतंकवादी समूहों और उसके सरगनाओं को बचाने के लिए चीन पर निर्भर रहने को लेकर पाकिस्तान की भी आलोचना की।

अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य ब्रैड शेरमैन ने चीन के इस कदम को अस्वीकार्य करार दिया और कहा, ‘‘चीन ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र को उस जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने से रोक दिया, जिसने फरवरी में भारत में पुलवामा हमला किया था। मैं चीन से अपील करता हूं कि वह संयुक्त राष्ट्र को अजहर पर प्रतिबंध लगाने दे।’’ हेरिटेज फाउंडेशन के जेफ स्मिथ और अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के सदानंद धूमे समेत अमेरिकी थिंक टैंक के कई सदस्यों ने भी चीन के इस कदम की निंदा की।

गौरतलब है कि यह चौथा मौका है जब चीन ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करके मसूद अज़हर को बचाया है। मसूद को बैन करने के प्रस्ताव पर टेक्निकल होल्ड का सहारा लेकर साफ हो गया है कि पाकिस्तान में पल रहे आतंकियो का असली आका बीजिंग में बैठा है। इस बार ऐसा लगा था कि चीन अपना रुख बदल सकता है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जब पुलवामा हमले की निंदा का प्रस्ताव पास किया था तो चीन भी उसमें शामिल था। इस प्रस्ताव में जैश का नाम लेकर हमले की निंदा की गई थी।

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