इथोपिया: दुनिया का सबसे पुराना स्वतंत्र देश, जानिए यहां क्यों खास है हवाई यात्रा

नई दिल्ली। आमतौर पर अफ्रीका के देश दुनिया में चर्चा में नहीं होते जिस तरह से अमेरिका, एशिया और यूरोप के देश होते हैं. हाल ही में अफ्रीका का एक देश चर्चा में रहा क्योंकि इस देश का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें सवार सभी 157 लोग मारे गए. इथोपिया के नाम से जाना वाला “इथियोपिया संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य” उत्तर पूर्व अफ्रीका का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है. आज जब दुनिया भर में हवाई यात्रा को लेकर संवेदनशीलता बढ़ गई है,  इस देश में हुई हवाई दुर्घटना का बहुत महत्व है जिसके कई कारण हैं.

विमान दुर्घटना 
10 मार्च 2019 को इथोपिया की राजधानी अदीस अबाबा से इथियोपियन एयरलाइंस का बोइंग 737-मैक्‍स-8 विमान उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद कुछ ही मिनटों की उड़ान के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो  समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक विमान में सवार 149 यात्रियों और 8 क्रू मेंबरों की हादसे में मौत हो गई. इस हादसे ने दुनिया भर को चिंता में डाल दिया. इसकी प्रमुख वजह यही रही कि यह इस मॉडल के विमान की पिछले पांच महीने में दूसरी विमान दुर्घटना थी जो एक ही तरह से हुई थी. इससे पहले 29 अक्टूबर 2018 को इंडोनेशिया में भी बोइंग 737-मैक्‍स-8 विमान केवल कुछ ही मिनटों में उड़ान के ठीक बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

इस दुर्घटना में इथोपिया के कई पहलू सामने आए. पहली है इथोपिया की विमानन पर निर्भरता. चारों ओर भूमि से घिरा होने यानी कि समुद्री की सीमा न होने से इस देश में वायु यातायात की अहमियत ज्यादा है. इसके अलावा इथोपिया एक अंतरराष्ट्रीय महत्व का देश है क्योंकि दुनिया का सबसे पुराना स्वतंत्र देश आज यह कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों का अफ्रीका में केंद्र रहा है. अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अफ्रीका के लिहाज से इथोपिया का अहम स्थान है. यही वजह है कि दुर्घटना में कम से कम 21 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य मारे गए थे. यह केवल संयोग नहीं है कि इथोपिया से संयुक्त राष्ट्र के 21 सदस्य उस विमान में सवार थे.

Ethiopia air plane crash
10 मार्च को इथोपिया का विमान क्रैश हो गया. (फोटो: Reuters)

इथोपिया का अंतरराष्ट्रीय महत्व
इथोपिया अफ्रीकी एकता संगठन (OAU) के संस्थापक सदस्यों में से एक है. इथोपिया की राजधानी अदीस अबाबा अब भी अफ्रीकी संघ के मुख्यालय है. युनिस्को की अफ्रीका में सबसे ज्यादा विश्व धरोहर इथोपिया में ही हैं. अदीस अबाबा पैन अफ्रीकन चेंबर ऑप कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, अफ्रीकी संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग, एफएसएफ ( अफ्रीकन स्टैंडबाय फोर्स और कई अन्य वैश्विक गैर सरकारी संगठनों के मुख्यालय है.

खास सांस्कृतिक विरासत पर नहीं है किसी औपनिवेशिक देश का असर
इथोपिया की एक खास सांस्कृतिक विरासत है, यहां 1974 में ही राजशाही खत्म हुई. दस करोड़ 25 लाख की आबादी वाला इथोपिया अफ्रीका का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है. इसका क्षेत्रफल 1,126,829 वर्ग किलोमीटर (437,794 वर्ग मील) है. यहां की प्रमुख भाषा अमहारिक, ओरोमो, टिग्रिनिया, सोमाली है. ईसाई और इस्लाम यहां के प्रमुख धर्म हैं. यहां 80 से अधिक प्रजातियां और इतनी ही भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं. अदीस अबाबा यहां की राजधानी है.

भौगोलिक स्थिति ने भी किया सुरक्षित
इथोपिया का कभी उपनिवेश न बन पाने की एक वजह इसकी समुद्र तटीय सीमा का न होना भी रही है. यह उत्तर में  इरिट्रिया, और जिबोटी, उत्तर पूर्व में सोमालियालैंड, पूर्व में सोमालिया, दक्षिण में केन्या और पश्चिम में सूडान और  दक्षिण सूडान से घिरा है जो इसे भूमिबद्ध (लैंडलॉक) देश बनाते हैं. इथोपिया की उच्चभूमि के पहाड़ और बिखरे हुए पठारों को विभ्रंश घाटी (रिफ्ट वैली) ने बांटा हुआ है जो दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर जाती है. नीली नील नदी यहीं के टाना तालाब से निकलती है. पठारों के आसपास पूर्व और पश्चिम में निम्न भूमि और मैदानी इलाके हैं. इथोपिया के ऊंचे पहाड़ों में तापमान कम ही रहता है जबकि गर्मी के मौसम (जून से सितंबर) में बारिश ज्यादा होती है. इसकी वजह से यहां का इलाका पर्यटन के लिए मुफीद है. पूरा देश ही वनस्पति से ढंका हुआ है. पूर्व में गर्मी ज्यादा पड़ती है जो घास के मैदान और झाड़ियों से आच्छादित है.

इथोपिया के इतिहास में छिपे हैं कई राज
इथोपिया में ही मानव इतिहास के सबसे पुराने जीवाश्म मिले हैं. यहां होमाइड्स के अवशेष करीब 42 लाख साल पुराने हैं, जो बाद में होमोसेपियन्स बने थे. होमोसेपियन्स का सबसे पुराना घर भी इथोपिया को ही माना जाता है. इतिहास में अबिसीनिया के नाम से मशहूर इथोपिया में सभ्यता के पहले चिन्ह 8वीं से तीसरी ईसापूर्व सदी के मिलते हैं, जहां दामत साम्राज्य का शासन था. इसके बाद अक्समी वंश का शासन आया जहां से इथोपिया के लिखित इतिहास की शुरुआत हुई. इसी दौरान यहां ईसाई धर्म का प्रसार भी हुआ. अक्समी शासन करीब दसवीं सदी तक चला. तब तक अक्समी शासन का रुख दक्षिण की ओर हो गया था और उत्तरी इलाकों में उसका प्रभाव घटने लगा था. इसके बाद यहां इस्लाम का प्रभाव तो आया लेकिन लेकिन अरब यहां कब्जा नहीं कर सके. 10वीं से तेरहवीं सदी तक जैग्वी साम्राज्य में लेखन की कला खूब फली फूली. 14वीं सदी के अंत तक यहां सोलोमोनिक वंश का शासन हो गया जो बीसवीं सदी तक (1974) तक चला.

उपनिवेश नहीं बन सका इथोपिया
16वीं सदी में इथोपिया से यूरोपीय देशों का संपर्क शुरू हुआ. 17वीं सदी में यहां पुर्तगालियों ने ईसाई धर्म फैलाया लेकिन जल्दी ही ईसाइयों के प्रतिष्ठानों पर यहां के शासक का पूरी तरह से कब्जा हो गया. इसके बाद यहां सत्ता संघर्ष तो चलता ही रहा, लेकिन विदेशी या औपनिवेशिक शासन की कोशिशें नहीं दिखीं. 1755 से 1855 तक यहां जमीने मिसाफिंत के दौर में शासन बिखरा ही रहा और यहां के शाह कमजोर ही रहे. 19वीं सदी के उत्तरार्ध में जब दुनिया में औपनिवेशवाद की जड़ें फैल रहीं थीं, तब अबिसीनिया को उपनिवेश बनाने के लिए कोशिशें शुरू हो गईं. वहीं शाह भी इथोपिया में मजबूत हुए जिससे यूरोपीय ताकतों को इथोपिया पर कब्जा करने में परेशानी होने लगी. इथोपिया में भी आधुनिकरण का दौर आया. इसी बीच 19वीं सदी के अंत में इथोपिया में भीषण सूखा पड़ने से यहां के करीब एक तिहाई लोग मारे गए.

20वीं सदी का इथोपिया
20वीं सदी में इथोपिया ने आधुनिकरण का एक और देखा और 1935 में यहां इटली की शासन 1941 तक ही रहा जिसके बाद  इटली ने इथोपिया की स्वतंत्रता को मान्यता नहीं दी और यहां युद्ध जारी रखा जबकी अंग्रेजों ने 1944 में इथोपिया की स्वायत्तता को मान्यता दी. वहीं इटली ने इथोपिया को 1947 में स्वायत्त माना. 1974 में दुनिया भर में तेल कीमतों में आई बेतहाशा वृद्धि के बाद यहां की राजशाही का अंत हुआ जिसके बाद यहां कम्युनिस्ट शासन के तहत मेंगुस्टु हेल मरियम की तानाशाही की स्थापना हुई. 1991 तक चले इस शासन के दौरान यहां देश ने तख्ता पलट की कोशिशें, विद्रोह, भयंकर आकाल, शरणार्थियों की बड़ी संख्या जैसी समस्याओं का सामाना किया.

संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य का दौर
1991 के बाद इथोपिया जन क्रांतिकारी लोकतांत्रिक मोर्चे ने कम्युनिस्ट तानाशाही का अंत किया जिसके बाद देश में 1994 में नया संविधान लागू हुआ जिसने सभी प्रजाति के लोगों को धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक अधिकार दिए. 1998 में इरित्रिया के साथ इथोपिया के युद्ध ने यहां की आर्थिक स्थिति को बहुत ज्यादा ही नुकसान पहुंचाया. 2000 में इरित्रिया से युद्ध विराम के बाद दोनों देशों के बीच 30 साल का संघर्ष खत्म हुआ. इसी बीच देश में राजनैतिक संघर्ष देश में जारी रहा. 2005 के चुनाव की वैधता पर सवाल उठे. सोमालिया के साथ विवाद भी हुआ. 2016 में तमाम विरोधों को देखते हुए देश में आपातकाल लगा दिया गया जो कि 2018 में हटा.

अर्थव्यवस्था
आज इथोपिया दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है. बिर यहां की मुद्रा है. इथियोपिया शीर्ष कॉफी और अफ्रीका में शहद उत्पादक देश है. इसके अलावा खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा, चमड़ा, केमिकल्स सीमेंट उद्योग प्रमुख है. अनाज, दालें, कॉफी गन्ना, आलू आदि यहां क् प्रमुख कृषि उत्पाद है. यह सबसे बड़ा पशुधन आबादी वाला देश है. सोना प्लेटिनम, तांबा प्राकृतिक गैस के प्राकृतिक संसाधनों के अलावा अफ्रीका की दूसरी सबसे बड़ी पनबिजली क्षमता इथोपिया की है.

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