भारत और ऑस्ट्रेलिया की वनडे सीरीज में अगर किसी खिलाड़ी पर सबसे अधिक नजर है तो वे विजय शंकर हैं. तमिलनाडु के इस ऑलराउंडर को वैसे तो न्यूजीलैंड दौरे से ही टीम इंडिया के प्लेइंग इलेवन में जगह मिल रही है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा सीरीज में उन्हें जिस तरह से प्राथमिकता दी जा रही है, उससे यह लगने लगा है कि वे विश्व कप की टीम में जरूर शामिल होंगे. शायद इस बदलाव का ही असर है कि विजय शंकर का प्रदर्शन भी अचानक से सुधर गया है.
28 साल के विजय शंकर ने नागपुर में खेले गए दूसरे वनडे में 46 रन बनाए. वैसे तो यह ऐसी पारी नहीं, जिसे निर्णायक कहा जा सके. लेकिन विजय ने यह पारी जिस परिस्थिति में और जिस अंदाज में खेली, वह प्रभावशाली कही जाएगी. विजय जब बैटिंग करने आए तब भारत 17 ओवर में 75 रन पर तीन विकेट गंवा चुका था. विराट कोहली क्रीज पर थे और उन्हें अच्छे पार्टनर की जरूरत थी.
आमतौर पर इस परिस्थिति में एमएस धोनी को भेजा जाता. वे नंबर पर पांच पर खेलते हैं और ऐसी परिस्थितियों के मास्टर हैं. लेकिन जब रायडू आउट हुए तो धोनी की जगह विजय शंकर आए. इससे साफ था कि टीम प्रबंधन उनकी बैटिंग काबिलियत की एक और परीक्षा लेना चाहता है. ताकि यह पता किया जा सके कि वे विश्व कप की टीम में फिट हैं या नहीं. विजय ने इस मौके को दोनों हाथों से लपक लिया. उन्होंने बेहद प्रभावी अंदाज में महज 41 गेंद पर 46 रन बना डाले. उन्होंने पांच शानदार चौके और एक बेहतरीन छक्का भी लगाया.
विजय शंकर का विश्व कप में खेलना तय नजर आ रहा है. दरअसल, टीम के नंबर-1ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या हैं. वे पिछले छह महीने में दो बार अनफिट होकर टीम से बाहर हो चुके हैं. ऐसे में टीम इंडिया अब पांड्या की जगह ऐसा ऑलराउंडर तलाश रही है, जो तेज गेंदबाजी कर सके. देश में फिलहाल ऐसे ऑलराउंडरों में विजय शंकर पहले नंबर पर हैं. इसलिए टीम प्रबंधन उन्हें तब भी साथ रखना चाह रही है, जब पांड्या टीम में हों. टीम प्रबंधन ऐसा जोखिम उठाने को तैयार नहीं है कि उसे बीच वर्ल्ड कप में किसी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े कि उसका ऑलराउंडर (पांड्या) चोटिल हो जाए और उसे घर से दूसरा खिलाड़ी बुलाना पड़े. इसलिए विजय का विश्व कप की टीम में चुना जाना तय है.