श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सालों से सक्रिय रहे जमात-ए-इस्लामी पर सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. प्रतिबंध के बाद तीसरे दिन जमात-ए-इस्लामी के 60 से अधिक बैंक खाते सीज कर दिये गए और अब तक 350 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जमात के तहत करीब 400 स्कूल, 350 मदरसे काम करते हैं. जमात के पास कम से कम 45,00 करोड़ की संपत्ति है.
जमात-ए-इस्लामी पर गुरुवार को बैन लगा दिया गया था. संगठन पर आतंकवादियों से सांठगांठ का आरोप है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर उच्चस्तरीय बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत इस संगठन पर पाबंदी लगाते हुए अधिसूचना जारी की थी.
सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि जमात-ए-इस्लामी (जेईएल) जम्मू कश्मीर राज्य के सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन और हुर्रियत कांफ्रेंस के गठन के लिए जिम्मेदार है. सरकारी अधिकारियों के अनुसार यह संगठन कई साल से अपने अलगाववाद और पाकिस्तान समर्थन एजेंडे के तहत राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए राज्य में अलगाववादियों और आतंकवादियों को साजो-सामान दे रही है.
अधिकारी ने कहा कि यह संगठन कश्मीर घाटी में अलगावादियों और कट्टरपंथियों के प्रचार प्रसार के लिए जिम्मेदार मुख्य संगठन है और वह हिज्बुल मुजाहिदीन को रंगरूटों की भर्ती, उसके लिए धन की व्यवस्था, आश्रय और साजो-सामान के संबंध में सभी प्रकार का सहयोग देता आ रहा है.
हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन जम्मू कश्मीर का पाकिस्तान में विलय का समर्थन करता है. अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल पाकिस्तान में छिपा सलाहुद्दीन पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के गठबंधन यूनाइटेड जेहाद परिषद का अध्यक्ष भी है.
जेईल (जेएंडके) जमात -ए-इस्लामी हिंद के अंग के तौर पर 1945 में बना था और वह अपने मूल संगठन के साथ राजनीतिक विचारधारा में मतभेद को लेकर 1953 में उससे लग हो गया. इस संगठन पर उसकी गतिविधियों को लेकर अतीत में दो बार प्रतिबंध लगाया गया. पहली बार 1975 में जम्मू कश्मीर सरकार ने दो साल के लिए और दूसरी बार अप्रैल 1990 में केंद्र सरकार ने तीन साल के लिए प्रतिबंध लगाया था. दूसरी बार प्रतिबंध लगने के समय मुफ्ती मोहम्मद सईद केंद्रीय गृह मंत्री थे.