नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान की वतन वापसी के लिए पूरा देश दोपहर से इंतजार कर रहा है. दोपहर करीब तीन बजे खबर आई कि विंग कमांडर भारत-पाक सीमा पर स्थित बाघा-अटारी बार्डर पर पहुंच गए हैं, लेकिन उन्हें रात आठ बजे तक भारत के सुपुर्द नहीं किया गया.आखिरकार रात 9 बजे विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान की पहली झलक दिखाई दी. अभिनंदन को सुपुर्द करने के पीछे हुई देरी को लेकर जी-डिजिटल ने भारतीय सेना के कई सेवानिवृत्त अधिकारियों से बात की. बातचीत के दौरान हमने न केवल सुपुर्दगी की पूरी प्रक्रिया समझी, बल्कि देरी के कारणों को भी तलाशा. भारतीय सेना के मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अजय दास की जुबानी समझिए सुपुर्दगी की प्रक्रिया और देरी के कारण:
भारतीय सेना के मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अजय दास के अनुसार, सुपुर्दगी से पहले दोनों देश के अधिकारी आपस में बैठ कर तय करते हैं कि दुश्मन देश की हिरासत में मौजूद सैन्य अधिकारी को किस बॉर्डर भारतीय सेना को सुपुर्द किया जाएगा. इस बैठक में सुपुर्दगी की तमाम शर्तों पर भी चर्चा की जाती है. इस बैठक के बाद दुश्मन देश हिरासत में मौजूद सैन्य अधिकारी को रेडक्रॉस के सुपुर्द करता है., जिससे उसकी पूरी शारीरिक जांच पूरी की जा सके. हालांकि इस दौरान उन्होंने यह स्पष्ट किया कि दुश्मन सेना की हिरासत में मौजूद सैन्य अधिकारी को रेडक्रॉस को सौंपा जाएगा या नहीं, यह दोनों देशों के सहमति पर निर्भर करता है. यदि दोनों देश सीधी सुपुर्दगी पर राजी हैं तो हिरासत में मौजूद सैन्य अधिकारी को रेडक्रॉस को सौंपने की जरूरत नहीं है.
भारतीय सेना के मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अजय दास ने बताया कि दो दुश्मन देश एक दूसरे पर भरोसा नहीं करते हैं, लिहाजा हिरासत में मौजूद सैन्य अधिकारी को अंतरराष्ट्रीय संस्था रेडक्रॉस को सौंपा जाता है. जिससे हिरासत में मौजूद सैन्य अधिकारी की निष्पक्ष तरीके से स्वास्थ्य परीक्षण किया जा सके. उन्होंने बताया कि रेडक्रॉस अपनी जांच में यह सुनिश्चित करता है कि दुश्मन देश की सेना ने हिरासत के दौरान सैन्य अधिकारी को शारीरिक तौर पर प्रताडि़त तो नहीं किया है. या दुश्मन देश की सेना ने पूछताछ के लिए हिरासत में मौजूद सैन्य अधिकारियों को किसी तरह का ड्रग्स नहीं दिया था. इसके अलावा, उसके साथ किसी भी तरह से सैन्य अधिकारी को शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना का शिकार तो नहीं बनाया गया है. अपनी जांच पूरी करने के बाद रेडक्रॉस अपनी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधियों को सौंपती है. इसके बाद सैन्य अधिकारी को उसके देश की सेना के सुपुर्द कर दिया जाता है.
भारतीय सेना के मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अजय दास ने बताया कि दुश्मन सेना की कैद से अपने वतन वापस आने के बाद सैन्य अधिकारी की स्वास्थ्य जांच भारतीय सेना या वायुसेना की मेडिकल टीम करती है. सेना या वायुसेना की मेडिकल टीम शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की हर आशंका को अपने तरह से तलाशती है. जिसमें सैन्य अधिकारी के स्वास्थ्य का शत प्रतिशत परीक्षण किया जाता है. विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान के मसले पर सेना के अन्य सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अभिनंदन वर्थमान के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उनकी मुलाकात विंग कमांडर से कराई जाएगी. जिसके बाद, उनकी इंटेलिजेंस डि-ब्रीफिंग की जाएगी. डि-ब्रीफिंग के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान से पूछा जाएगा कि एयरक्राफ्ट क्रैश से लेकर भारत वापसी तक क्या-क्या हुआ.
इन परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय मंच पर जा सकता है भारत
उन्होंने बताया कि डि-ब्रीफिंग के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान से पाकिस्तान में गुजारे हर पल की जानकारी लेने की कोशिश की जाएगी. उनसे पूछा जाएगा कि पूछताछ के दौरान पाकिस्तान की किन किन एजेंसियों ने उसने पूछताछ की. पूछताछ के दौरान उनसे क्या-क्या सवाल पूछे गए. इन सवालों के उन्होंने क्या-क्या जवाब दिए. पूछताछ के दौरान उन्हें प्रताडि़त तो नहीं किया गया. इसके बाद इस बाबत एक विस्तृत रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी. पूछताछ के दौरान कुछ आपत्तिजनक पाया जाता है तो भारत अपनी आपत्तियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठा सकता है.