नई दिल्ली। पुलवामा हमले के बाद एक्शन में आई मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के चार अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा हटा ली है. इससे पहले खबर थी कि सरकार ने पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली है. पुलवामा के आतंकी हमले के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इन नेताओं से सुरक्षा वापस लेने के संकेत दे दिए थे.
पिछले एक साल से जेल में है शब्बीर शाह
जिन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चीफ मीरवाइज उमर फारूक, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर अब्दुल गनी भट और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता बिलाल लोन शामिल हैं. ध्यान रहे कि शब्बीर शाह का नाम सूची में है, लेकिन वह पिछले एक साल से जेल में है. हालांकि इस लिस्ट में सैयद अली शाह गिलानी और यासीन मलिक का नाम शामिल नहीं है. जम्मू कश्मीर में सरकार कुल नौ अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा इंतजाम मुहैय्या कराती है, जिनमें चार की सुरक्षा वापस ले ली गई है.
10 साल में इन नेताओं की सुरक्षा पर 11 करोड़ खर्च कर चुकी है सरकार
बता दें कि सरकार पिछले 10 साल में अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर 11 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर चुकी है.सबसे ज्यादा खर्च अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के एक धड़े के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारुक की सुरक्षा पर हुआ है, वो इसलिए क्योंकि सबसे भारी-भरकम सुरक्षा घेरा मीरवाइज उमर फारुक के पास ही है. मीरवाइज श्रीनगर के डाउनटाउन के नगीन इलाके में रहते हैं और श्रीनगर की जामा मस्जिद के मीरवाइज हैं.
अकेले मीरवाइज की सुरक्षा पर खर्च हुए 6.33 करोड़ रुपए
मीरवाइज की सुरक्षा में 8 से 10 सरकार सुरक्षाकर्मी, 6 पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर यानी PS, 1 बुलेट प्रूफ अंबेसडर कार और एक एस्कॉर्ट जिप्सी शामिल थी. मीरवाइज उमर फारुक पर सरकार ने 6.33 करोड़ रुपए, प्रो अब्दुल गनी बट पर 2.34 करोड़ रुपए और बिलाल गनी लोन पर 1.65 करोड़ रुपए खर्ज किए हैं.
ये हमारे लिए कोई मुद्दा नहीं- मीरवाइज के प्रवक्ता
मीरवाइज उमर फारुक के प्रवक्ता ने सरकार के इस फैसले पर एक बयान जारी किया है, ‘’हुर्रियत नेताओं ने कभी सुरक्षा की मांग नहीं की थी. सरकार ने ही हमें सुरक्षा उपलब्ध कराई थी और सरकार ने ही वापस लेने का फैसला किया है. ये हमारे लिए कोई मुद्दा नहीं है.’’