नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमले के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. गृह मंत्रालय के आदेश के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हुर्रियत और अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट्ट, बिलाल लोन, हाशमी कुरैशी, शब्बीर शाह की सरकारी सुरक्षा वापस ले ली है. इसके अलावा इन्हें मिल रही सारी सरकारी सुविधाएं छीन ली गई है. मीरवाइज उमर फारूक हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का चेयरमैन है.
हालांकि जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस आदेश में पाकिस्तान परस्त और अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का नाम नहीं है. प्रशासन के इस फैसले के बाद आज शाम तक इन्हें दी गई सारी सुरक्षा, सारी सरकारी सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी. सरकार के इस फैसले के बाद अब किसी भी अलगाववादी नेता को सरकारी खर्चे पर किसी तरह की सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी.
रिपोर्ट के मुताबिक हुर्रियत के इन अलगाववादी नेताओं को राज्य सरकार ने लगभग 10 साल पहले सुरक्षा मुहैया कराई थी, जब ये नेता घाटी में कथित तौर पर आतंकियों के निशाने पर आए थे. बता दें कि पुलवामा में 40 जवानों की शहादत के बाद पूरे देश में इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की मांग उठी थी. भारत सरकार इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 फरवरी को ही कहा था कि इन नेताओं की सुरक्षा वापस ली जाएगी. आज इस फैसले पर अमल करते हुए सरकार ने इनसे सभी सुरक्षा वापस ले ली है.