पटना। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने कुमार के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिये हैं. पोक्सो की एक विशेष अदालत ने एक आरोपी अश्विनी की ओर से दायर आवेदन पर शुक्रवार को यह आदेश दिया. अश्विनी पेशे से एक चिकित्सक है, जो कथित तौर पर यौन दुर्व्यवहार किए जाने से पहले बच्चियों को नशीली दवाएं देता था.
अश्विनी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि सीबीआई जांच में उन तथ्यों को छुपाने की कोशिश कर रही है, जो मुजफ्फरपुर के पूर्व डीएम धर्मेन्द्र सिंह, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अतुल कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर के पूर्व डिवीजनल आयुक्त और मौजूदा प्रधान सचिव, समाज कल्याण विभाग और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिकाओं की जांच करने के बाद सामने आ सकते हैं. पोक्सो अदालत के न्यायाधीश मनोज कुमार ने अश्विनी की मांग पर सभी के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिये.
गौरतलब है कि मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने राज्य की नीतीश सरकार को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में रह रहे लड़कियों से जुड़ी रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि समाज कल्याण विभाग के मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह में लड़कियों के साथ यौन शोषण हो रहा है. इसके बाद यहां की लड़कियों की चिकित्सकीय जांच के बाद 34 लड़कियों के साथ रेप की पुष्टि हुई थी.
मामले ने सियासी रंग पकड़ा जिसके बाद सीबीआई जांच के आदेश दिये गये. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. इस मामले में शीर्ष अदालत कई मौकों पर नीतीश सरकार कि खिंचाई कर चुकी है.
सीबीआई ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को गिरफ्तार किया था. इस मामले में सामाजिक कल्याण मंत्री रही मंजू वर्मा पर भी सवाल उठे. नीतीश कुमार ने मंजू वर्मा को पद से हटा दिया. आरोप है कि मंत्री रही वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा का ब्रजेश के साथ घनिष्ठ संबंध है. हालांकि विपक्षी पार्टियां नीतीश कुमार पर भी लापरवाही के आरोप लगाए.