नई दिल्ली। पुलवामा में सीआरपीएफ पर हमले में आरडीएक्स का इस्तेमाल नहीं किया गया बल्कि आम उद्योगों में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों का इस्तेमाल कर एक घातक हथियार बनाया गया था. घटनास्थल का निरीक्षण करने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें कीलें, लोहे के टुकड़े भरकर इसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला बनाया गया. इसे बनाने के लिए ज़रूरी चीज़ों को आम दुकानों से धीरे-धीरे ख़रीदकर एकट्ठा किया गया. हमलावर की लाश पर हुए असर और घटनास्थल पर मिले पदार्थों के प्रारंभिक परीक्षण से ये बात निकलकर सामने आई है. हालांकि अभी परीक्षण लगातार चल रहे हैं लेकिन इसमें कोई शक नहीं लग रहा है कि आरडीएक्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है, एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने बताया.
इस किस्म के केमिकल्स को पकड़ना और किसी व्यक्ति को आरोपी बनाना इसलिए संभव नहीं है क्योंकि खेती से लेकर कई तरह के उद्योगों में इन चीज़ों का इस्तेमाल होता है. आरडीएक्स जैसे विस्फोटकों को किसी नाके पर रोककर पकड़े जाने की संभावना होती है इसलिए आतंकवादियों ने हमले के लिए इस किस्म के केमिकल्स का सहारा लिया.
इन्हें पंजाब या हरियाणा में डीलर्स से खरीदा जा सकता है, यहां तक कि कश्मीर में भी इनके कई डीलर्स हैं, एक अधिकारी ने जानकारी दी. हमले का असर जबरदस्त हो इसलिए विस्फोटक की मात्रा बहुत ज्यादा रखी गई. धमका इतना जबरदस्त था कि हमले की जगह से कई किलोमीटर दूर तक इसका असर महसूस किया गया.
हमले के लिए शुरुआत की 3-4 गाड़ियों के बाद की गाड़ियों को चुना गया ताकि काफिले के आगे चलने वाली क्विक रिएक्शन टीम की कम जवानों वाली गाड़ियों के बजाए ज्यादा सवारियों वाली गाड़ियों को निशाना बनाया जा सके.