नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर के पुलवामा के अवंतीपोरा में गुरुवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान का आतंकी चेहरा फिर से बेनकाब हो गया है. पुलवामा के इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए मोहम्मद ने ली है. आपको बता दें कि यह आतंकी संगठन पाकिस्तान समर्थित है और कश्मीर में आतंकी हमलों को अंजाम देता है. इसका सरगना आतंकी मसूद अजहर है. पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हुए हैं.
वहीं अगर पाकिस्तान की बात की जाए तो उसे टेररिस्तान कहना गलत नहीं होगा. क्योंकि उसकी जमीन पर दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन पनाह पाए हैं. इनके आतंकी वहां खुलेआम घूमते हैं. फिर चाहे वो हाफिज सईद हो या मसूद अजहर. इनकी सार्वजनिक गतिविधियों की पुष्टि कई बार हो चुकी है. पाकिस्तानी धरती पर पनाह पा आतंकी संगठनों और आतंकियों पर एक नजर:
जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया अजहर भी पाकिस्तान में ही
आतंकी मौलाना मसूद अजहर ने 31 जनवरी, 2000 को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मदका गठन किया था. इसका मुख्यालय भी पाकिस्तान के बहावलपुर में है. इस आतंकी संगठन का मकसद भी कश्मीर को भारत से अलग करके पाकिस्तान में शामिल करवाना है. 1999 में भारतीय विमान की हाईजैकिंग, 2001 में संसद हमले और 2016 में पठानकोट हमले मसूद का ही हाथ था. भारत ने उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वैश्विक आतंकी घोषित करवाने की कई बार कोशिश की. लेकिन 2016 से लेकर अभी तक चीन इसमें कई बार अड़ंगा लगा चुका है.
यह पाकिस्तान का आतंकवादी संगठन है, जिसे संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों ने प्रतिबंधित किया हुआ है. विदेश मंत्रालय के अनुसार अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित मसूद अजहर इस आतंकवादी संगठन का सरगना है जिसे पाकिस्तानी सरकार ने पाकिस्तान के नियंत्रण वाले इलाकों में अपनी गतिविधियां चलाने और आतंकी ठिकानों को बढ़ाने के साथ ही भारत तथा कहीं भी हमले करने की पूरी छूट दे रखी है.
तालिबान के आतंकियों का गढ़
दुनिया में बड़े आतंकी हमले कर चुका तालिबान 1994 में अस्तित्व में आया था. इसमें अलग-अलग देशों में सक्रिय करीब 60 हजार आतंकी शामिल हैं. तालिबान अफगानिस्तान में अपनी पैठ आज भी बनाए हुए हैं. वहां पर आए दिन इसके आतंकी हमले होते हैं. अफगानिस्तान से जब तालिबान को अमेरिकी सेना ने खदेड़ा था तो पाकिस्तान ने ही इसको शरण दी थी. तालिबान के मुख्यालय अफगानिस्तान के कंधार और पाकिस्तान के क्वेटा व पेशावर में मौजूद हैं. पाकिस्तान में ही इसके कई आतंकी कैंप संचालित होते हैं, जहां बड़ी संख्या में आतंकियों को तैयार किया जाता है.
ओसामा बिन लादेन भी पाकिस्तान में मिला
आतंकी संगठन अलकायदा 1988 में खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन की सरपरस्ती में शुरू हुआ था. इसमें अभी भी माना जाता है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में करीब 90 हजार आतंकी शामिल हैं. पाकिस्तान इस आतंकी संगठन का मुख्य ठिकाना है. यहां इसके बड़ी संख्या में आतंकी कैंप होने की पुष्टि हो चुकी है. यहीं पर आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है. 2001 में अलकायदा ने अमेरिका में इतिहास के सबसे बड़े आतंकी हमले को अंजाम दिया.
इसके बाद दुनिया भर में दहशत फैल गई. अमेरिका ओसामा बिन लादेन की तलाश में जुट गया. आखिरकार अमेरिका ने 2011 में ओसामा को पाकिस्तान के एबटाबाद में खोज निकाला और 2 मई, 2011 को उसे मौत के घाट उतारकर अपना बदला पूरा किया. ओसामा पाकिस्तान के एबटाबाद में कई महीनों से शरण पाया हुआ था. वह वहां अपने परिवार के साथ रहता था.
खुलेआम घूमता है हाफिज सईद
1990 में आतंकी हाफिज सईद के नेतृत्व में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का गठन हुआ. इसमें करीब 50 हजार आतंकी शामिल हैं. कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना इसका मकसद है. पाकिस्तान के मुदरीके शहर में इसका मुख्यालय है. यहां आतंकी ट्रेनिंग कैंप चलते हैं. हाफिज सईद 2001 में भारतीय संसद पर हमले और 2006 व 2008 में मुंबई बम धमाकों को आरोपी है. पाकिस्तान कई बार भारत और अंतरराष्ट्रीय दबाव में सईद को नजरबंद कर चुका है. उसका संगठन जमात उद दावा भी आतंकी गतिविधियों में शामिल है.
पाकिस्तान में चुनावी मैदान में भी कूदा था सईद
अमेरिका तो सईद पर एक करोड़ डॉलर का इनाम भी घोषित कर चुका है. इस साल पाकिस्तान में हुए चुनाव में उसने पार्टी बनाकर अपने उम्मीदवार भी मैदान में उतारे. इसमें उसके रिश्तेदार भी शामिल थे. लेकिन वहां की जनता ने उसे वोट नहीं दिया. सुषमा स्वराज ने भी संयुक्त राष्ट्र में कहा कि 9/11 का मास्टरमाइंड तो मारा गया लेकिन 26/11 का मास्टरमाइंड सईद आज भी खुलेआम घूमता है, रैलियां करता है, चुनाव लड़वाता है और भारत को धमकियां देता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में विश्व के नामी आतंकवादी स्वतंत्रता सेनानी कहे जाते हैं.
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान
आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की स्थापना 2007 में आतंकी बैतुल्लाह महसूद ने की. उस दौरान इसमें 13 आतंकी शामिल हुए. इसमें अभी करीब 25 हजार आतंकी शामिल बताए जाते हैं. इसका वर्चस्व पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में है. इसे पाकिस्तानी तालिबान भी कहते हैं. इस साल अमेरिकी संस्था नेशनल कंसोर्टियम फॉर द स्टडी ऑफ टेररिज्म एंड रिस्पॉन्सेज टू टेररिज्म ने अपनी रिपोर्ट में इसे 2017 का दुनिया का 11वां सबसे खूंखार आतंकी संगठन बताया है.
पाकिस्तान में लश्कर-ए-झंग्वी भी है
लश्कर-ए-झंग्वी का स्थापना 1996 में हुई थी. अकरम लाहौरी, गुलाम रसूल शाह, आसिफ छोटू इसके प्रमुख नेता हैं. बसरा, मलिक और शाह मारे जा चुके हैं. इशाक गिरफ्तार हो चुका है. 2009 में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हुए आतंकी हमले में भी इसी संगठन का नाम आया था.
20वां खूंखार आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन
आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का गठन सितंबर 1989 में हुआ था. इसे आतंकी मुहम्मद एहसान डार ने बनाया था. भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इसे आतंकी संगठन की सूची में शामिल किया हुआ है. यह जम्मू और कश्मीर में 1989 से सक्रिय है. मौजूदा समय में इसका मुखिया सैयद सलाहुद्दीन है. इस संगठन के आतंकी कैंप पाकिस्तान की सरजमीं पर चलते हैं. इसका मुख्यालय मुजफ्फराबाद में है.
सलाहुद्दीन को अमेरिका ने 2017 में स्पेशियली डेजिनेटेड ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया है. इस साल अमेरिकी संस्था नेशनल कंसोर्टियम फॉर द स्टडी ऑफ टेररिज्म एंड रिस्पॉन्सेज टू टेररिज्म ने अपनी रिपोर्ट में इसे 2017 का दुनिया का 20वां सबसे खूंखार आतंकी संगठन बताया है.
सुषमा स्वराज ने लगाई थी फटकार
2018 में हुई संयुक्त राष्ट्र महासभा की 73वीं वार्षिक बैठक में अपने संबोधन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई थी.
उन्होंने पूरी दुनिया के सामने कहा था कि पाकिस्तान सिर्फ आतंकवाद फैलाने में ही माहिर नहीं है बल्कि अपनी की हुईं नापाक हरकतों को नकारने में भी उसने महारथ हासिल कर ली है. इसका सबसे बड़ा सुबूत है पाकिस्तान में आतंकी ओसामा बिन लादेन का पाया जाना.