श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी, जिसमें 30 से ज्यादा जवान शहीद हो गये. पुलिस ने आतंकवादी की पहचान पुलवामा के काकापोरा के रहने वाले आदिल अहमद के तौर पर की है. उन्होंने बताया कि अहमद 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था. धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए और शव क्षत-विक्षत हो गए.
कैसे की जाती है सुरक्षा
सुरक्षाबलों का जब कोई बड़ा काफिला गुजरता है तो हाईवे पर सुबह 8 बजे से लेकर रात 8 बजे तक सुरक्षाबल तैनात रहते हैं. इस तरह की मूवमेंट के दौरान भी चार से पांच गाड़ियां काफिले की सुरक्षा के लिए आगे चलती हैं. इसके अलावा कुछ जवान पैदल चलते हुए भी इसकी निगरानी रखते हैं कि कहीं कोई आतंकी काफिले में घुसने की कोशिश तो नहीं कर रहा है. हर 500 मीटर की दूरी पर जवान तैनात रहते हैं. लेकिन इसके बाद भी इतना बड़ा हमला होना सुरक्षा में बड़ी चूक माना जा रहा है.
कहां रह गया लूप होल
बता दें कि सुरक्षाबलों का काफिला जब गुजरता है तो उस दौरान हाईवे पर आम लोगों की आवाजाही को रोका नहीं जाता है. आतंकियों ने इसी बात का फायदा उठाया है और इतने बड़े हमले को अंजाम दे दिया.
कैसे किया हमला
खबरों के मुताबिक एक छोटी गाड़ी में फिदायीन हमलावर बैठा हुआ था और वो विस्फोटक से भरी गाड़ी लेकर बस से टकरा गया. इस ब्लास्ट के बाद आतंकियों ने फायरिंग भी की. विस्फोट इतना तेज था कि उसकी आवाज तकरीबन पांच किलोमीटर दूर तक सुनाई दी. आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड अटैक भी किया. जिस फिदायीन गाड़ी का इस्तेमाल पुलवामा के आत्मघाती आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए किया गया उसमें 200 किलो से ज्यादा विस्फोटक भरा हुआ था.
CRPF की करीब 78 गाड़ियां और 2547 जवान थे
जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ के जवानों की 54वीं बटालियन पर ये हमला आतंकियों ने 3 बजकर 37 मिनट पर पुलवामा के अवंतीपुरा में लातू मोड़ पर किया. ये हमला उस वक्त हुआ जब सीआरपीएफ के जवानों को श्रीनगर से पुलवामा ले जाया जा रहा था. इस काफिले में सीआरपीएफ की करीब 78 गाड़ियां थीं और 2547 जवान उसमें सवार थे. इस काफिले में सीआरपीएफ की 54वीं, 179वीं और 34वीं बटालियन एक साथ जा रही थीं.