नई दिल्ली। तमाम अटकलों को विराम देते हुए बीजेपी के टिकट पर सांसद, विधायक, मंत्री बने रामकृष्ण कुसमरिया आखिर शुक्रवार को बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो ही गए. राहुल गांधी की मौजूदगी में कुसमरिया कांग्रेस में शामिल हुए. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कुसमरिया को अपनी पार्टी के नेताओं से मिलवाया.
कुसमरिया ने अपने साथ 15 हजार कार्यकर्ताओं को भी बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल कराया. राहुल गांधी ने सभा की शुरूआत में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए रामकृष्ण कुसमरिया को संबोधन के लिए बुलाया. कुसमरिया ने अपने संबोधन में भाजपा पर जमकर हमला बोला. कुसमरिया ने कहा कि भाजपा में वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं रहा, इसलिए पार्टी छोड़ने का फैसला किया गया है. कांग्रेस का वचन पत्र देखकर लगा कि अब अच्छे दिन आएंगे.
इससे पहले कई दिनों से चर्चा चल रही थी कि बीजेपी के पूर्व मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया कांग्रेस की सदस्यता लेंगे. बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े कुसमरिया प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में थे. हाल के मेल-मिलाप से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे 8 फरवरी को भोपाल आ रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष पार्टी की सदस्यता लेंगे.
अब जब उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया है तो यह बुंदेलखंड की राजनीति में यह एक बड़ा फेरबदल माना जा रहा है. खुद कुसमरिया का कहना था कि कांग्रेस में जाने के लिए कार्यकर्ताओं की राय ली है. जो पार्टी टिकट देगी उसके लिए वे लड़ेंगे.
लोकसभा चुनाव के रास्ते संसद में पहुंचने का सपना
कुसमरिया के कांग्रेस में आने के बाद उन्हें बुंदेलखंड की किसी लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उतारा जा सकता है. उनका सागर, दमोह, पथरिया, छतरपुर, खजुराहो व पन्ना सामाजिक स्तर पर अच्छा-खासा वर्चस्व है. उन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में दमोह व पथरिया सीट निर्दलीय चुनाव लड़ा. वे खुद जीत तो दर्ज नहीं कर सके, लेकिन इन दोनों सीटों से भाजपा की जीत छीन ली. दमोह से पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया को हार का सामना करना पड़ा. इन दो सीटों को गंवाने के बाद भाजपा प्रदेश में सरकार बनाने की स्थिति में नहीं आ सकी.
जनवरी 2016 में बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बने डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया का कार्यकाल इसी साल अप्रैल में बढ़ाया गया था. डॉ. कुसमरिया चार बार विधानसभा और पांच बार लोकसभा चुनाव जीते. 2008 में विधानसभा चुनाव जीतकर वे कृषि मंत्री बनाए गए थे. 2013 में वे चुनाव हार गए थे.