नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में शारदा चिट फंड मामले की जांच के लिये एक एसआईटी का गठन किया गया था। शारदा, मेसर्स रोज वैली और टॉवर ग्रुप इत्यादि कंपनियों पर चिटफंड घोटाले का आरोप है, कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पर इन कंपनियों के बचाव का आरोप है, आपको बता दें कि जिस एसआईटी ने चिट फंड घोटाले मामले का जांच किया था, राजीव कुमार उसके चीफ थे। जो वर्तमान में कोलकाता पुलिस कमिश्नर हैं।
आरोपियों ने टीएमसी को दिया चंदा
जनसत्ता डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक घोटाले के आरोपियों ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को चंदा दिया था, सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अतिरिक्त हलफनामे में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि राजीव कुमार ने एक प्रमुख आरोपी के कॉल डेटा रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ की, रोज वैली के खिलाफ दर्ज एफआईआर को दबा दिया और सबूत भी मिटाने की कोशिश की गई।
राजीव कुमार पर आरोप
सीबीआई के मुताबिक तत्कालीन एसआईटी चीफ राजीव कुमार ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और अन्य आईपीसी के धाराओं के तहत अपराध किये हैं, हालांकि राजीव कुमार ने चिट फंड कंपनियों की एसआईटी जांच में गड़बड़ी से इंकार किया है, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सहयोग करने के निर्देश देने के बाद उन्होने सीबीआई को लिखा कि वो 8 फरवरी को शिलांग में जांच एजेंसी के अधिकारियों से मिलने के लिये तैयार हैं।
राजीव की भूमिका की जांच
सीबीआई एसपी पार्थ मुखर्जी ने अपने हलफनामे में कहा है कि कोलकाता में रजिस्टर शारदा चिट फंड में राजीव कुमार की प्रथम भूमिका की जांच की जा रही है, एजेंसी ने ये भी दावा किया है, कि उसने उससे जुड़े सबूत जुटाये हैं, जिसमें सीनियर पुलिस अधिकारियों और बाकी नेताओं के पत्र आदि शामिल हैं, उन्हें कोर्ट के सामने सील बंद लिफाफे में पेश करने की अनुमति मांगी है।
सबूतों के साथ छेड़छाड़
साथ ही राजीव कुमार पर आरोप है कि 28 जून 2018 को सीबीआई सीडीआर में सबूत सौंपने के दौरान सबूतों से छेड़छाड़ की गई, उन्हें नष्ट किया गया, हलफनामे में ये भी आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 9 मई 2014 को जांच एजेंसी को जांच सौंपे जाने के बाद भी राजीव कुमार एसआईटी द्वारा एकत्र किये गये सबूतों के साथ जांच सामाग्री के साथ हिस्सा नहीं ले रहे थे।