कोलकाता। पश्चिम बंगाल में रविवार (3 फरवरी) को कोलकाता पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करने गई सीबीआई की टीम को राज्य पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. इसके बाद से ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी सीबीआई राज्य में असमंजस की स्थिति में नजर आ रही है. बताया जा रहा है कि सीबीआई इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के पास जाएगी. बताया जा रहा है कि सीबीआई राज्यपाल से अधिकारियों को गिरफ्तार करने के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करेगी.
वहीं, इस मामले पर सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव ने कहा कि हम कानूनी सलाह ले रहे हैं. जो सुझाव सामने आएंगे हम उसी के हिसाब से कदम उठाएंगे. सूत्रों के अनुसार, सीबीआई सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकती है. सीबीआई के पूर्व अधिकारी भी यह मानते हैं कि सीबीआई को इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट का ही दरवाजा खटखटाना चाहिए. क्योंकि इस केस की सुनवाई वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही कर रही है.
सीबीआई के एक पूर्व अधिकारी नवनीत वासन ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पुलिस के पास सीबीआई के अधिकारियों को गिरफ्तार करने का कोई आधार नहीं है. यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि पूछताछ की कार्यवाही कानून के अनुसार हो रही थी. उन्होंने कहा कि अब इस मामले पर सीबीआई को तत्काल सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. कहा जा रहा है कि सीबीआई राज्यपाल से इस मामले में केंद्रीय सुरक्षा बलों को भेजने की मांग कर सकती है.
गौरतलब है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों की एक टीम पोंजी घोटालों के मामलों में पूछताछ की खातिर कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के आवास पर पहुंची, लेकिन संतरियों ने सीबीआई टीम को बाहर ही रोक दिया. सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई रोज वैली और सारदा चिटफंड घोटाले के मामलों के सिलसिले में कुमार से पूछताछ के मकसद से उन्हें तलाश रही है और अंतिम उपाय के तौर पर पुलिस आयुक्त को गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
अधिकारियों ने बताया कि इन घोटालों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा गठित एसआईटी की अगुवाई कर चुके आईपीएस अधिकारी कुमार से गायब दस्तावेजों और फाइलों के बाबत पूछताछ करनी है, लेकिन उन्होंने जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए जारी नोटिसों का कोई जवाब नहीं दिया है. उन्होंने बताया कि सीबीआई की टीम जब कुमार के आवास पर पहुंची तो उसे वहां तैनात कर्मियों एवं संतरियों ने बाहर ही रोक दिया.
कोलकाता पुलिस के अधिकारियों की एक टीम सीबीआई अधिकारियों से बातचीत के लिए मौके पर पहुंची और यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या उनके पास कुमार से पूछताछ करने के लिए जरूरी दस्तावेज थे. पश्चिम बंगाल कैडर के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार ने चुनावी तैयारियों की समीक्षा के लिए पिछले दिनों कोलकाता आए चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था.
रविवार को कोलकाता पुलिस ने एक बयान जारी कर उन खबरों को सिरे से खारिज किया था कि कुमार ड्यूटी से गायब हैं. पुलिस ने कहा, ”कृपया गौर करें कि कोलकाता के पुलिस आयुक्त न केवल शहर में उपलब्ध हैं बल्कि नियमित आधार पर दफ्तर भी आ रहे हैं. सिर्फ 31 जनवरी 2019 को वह दफ्तर नहीं आए, क्योंकि उस दिन उन्होंने अवकाश लिया था. सभी संबंधित पक्ष कृपया गौर करें कि यदि उचित जांच के बगैर कोई खबर फैलाई जाती है तो कोलकाता पुलिस, कोलकाता के पुलिस आयुक्त एवं कोलकाता पुलिस दोनों की मानहानि के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू करेगी.”