नई दिल्ली। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अपने बजट भाषण में 2 एकड़ से छोटी जोत वाले किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना की घोषणा की है. इसका मतलब हुआ कि देश के 86 फीसदी किसानों को इस योजना का सीधा लाभ होगा. इस समय देश में 2 एकड़ से कम जोत के 86 फीसदी किसान हैं. एग्रीकल्चर जनगणना 2015-16 के मुताबिक, देश में दो एकड़ से कम जोत वाले किसानों की कुल संख्या 12.6 करोड़ है.
अगर किसानों की इसी संख्या को आधार मान लें तो देश के 12.6 करोड़ किसान परिवारों को सरकार हर साल 6,000 रुपये सालाना की सहायता देगी. इस तरह इस योजना पर केंद्र सरकार को कम से कम 75,600 करोड़ रुपये सालाना खर्च करने होंगे. यह रकम यूपीए सरकार के समय शुरू गई मनरेगा योजना से कहीं बड़ा बजट होगा. यहीं नहीं इस योजना पर खर्च होने वाली रकम यूपीए सरकार में की गई किसान कर्ज माफी की रकम से भी ज्यादा है.
किसान सम्मान योजना की पहली किश्त यानी हर किसान परिवार को 2,000 रुपये देने के लिए सरकार को कम से कम 25,200 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ सकती है. इस राशि से पता चलता है कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के रिजर्व फंड से जो रकम मांग रही थी, असल में वह इसी योजना के लिए थी. अनुमान के मुताबिक सरकार ने आरबीआई से 40,000 करोड़ रुपये मांगे थे.
इस तरह से देखा जाए तो अगर सरकार उर्वरक पर सब्सिडी जारी रखती है और उसमें किसी तरह की कटौती नहीं करती है तो सरकार किसानों को किसान सम्मान योजना के तहत 75,000 करोड़ सालाना और उर्वरक सब्सिडी के रूप में भी इतनी ही रकम मुहैया कराएगी. इस तरह किसानों को सीधे 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सहायता हर साल सरकार की ओर से दी जाएगी.
मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को कांग्रेस की दो बड़ी घोषणाओं के तोड़ के तौर पर देखा जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कई बार घोषणा कर चुके हैं कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने हाल ही में यूनिवर्सल इनकम स्कीम लागू करने का भी वादा किया. इस योजना के तहत भारत में हर गरीब परिवार को 3,000 रुपये महीना वेतन देने का वादा किया गया है.
इससे पहले की राहुल गांधी का यह वादा लोगों तक पहुंचता मोदी सरकार ने पहले ही न सिर्फ छोटे किसानों को नकद सहायता देने का फैसला कर लिया, बल्कि उम्मीद है कि चुनाव होने से पहले किसानों को 2,000 रुपये की पहली किश्त मिल भी जाएगी.
जाहिर है कि यह रकम 2 लाख रुपये सालाना की कर्ज माफी से काफी कम है और यूनिवर्सल इनकम स्कीम की 36,000 हजार रुपये सालाना की घोषणा से भी कम है. लेकिन असली बात यह है कि बाकी चीजें घोषणाएं हैं, वहीं किसान सम्मान योजना सामने है. इसका पैसा किसानों के हाथ में होगा, जबकि बाकी घोषणाएं उनके मन में ही रहेंगी.
इस अकेली घोषणा के जरिए ही मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव की लड़ाई में बढ़त बना ली है. मोदी सरकार ने अपने अंतिम और अंतरिम बजट में आखिरी ओवर में छक्का लगाने के लिए शॉट मारा है. अब तो यह आम चुनाव ही तय करेगा कि यह शॉट बाउंड्री से बाहर जाता है, या कांग्रेस अपनी घोषणाओं को और आकर्षक बनाकर इसे कैच कर लेती है.