नई दिल्ली। पाकिस्तान और चीन के साथ तनाव भरे हालात के बीच मोदी सरकार ने अपने अंतरिम बजट में डिफेंस सेक्टर पर फोकस किया है. इस बजट में सरकार की ओर से डिफेंस सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया गया है. पहली बार है जब डिफेंस सेक्टर के लिए आवंटन 3 लाख करोड़ रुपये है. हालांकि 2018 के बजट से तुलना करें तो डिफेंस सेक्टर के बजट में मामूली बढ़त है.
शुक्रवार को अंतरिम बजट पेश करते हुए कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि हमारे सैनिक कठिन हालात में देश की रक्षा करते हैं. सरकार सैनिकों के हित का ध्यान रखती है. उन्होंने बताया कि वन रैंक, वन पेंशन के तहत सरकार ने रिटायर्ड सैनिकों को 35 हजार करोड़ रुपये दिए हैं. सैनिकों की यह मांग 40 साल से लंबित पड़ी थी.
2018 में डिफेंस सेक्टर के लिए क्या था
चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव भरे माहौल के बीच डिफेंस सेक्टर के लिए साल 2018 के आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2,95,511 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. इस हिसाब से अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने देश के रक्षा बजट में 5000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की है. वहीं साल 2017 में डिफेंस सेक्टर के लिए 2.74 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. इस हिसाब से डिफेंस बजट में 7.81 फीसदी का इजाफा था. बीते साल के बजट में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उद्योग अनुकूल ‘रक्षा उत्पादन नीति 2018’ का ऐलान किया गया. इसके अलावा रक्षा उत्पादन क्षेत्र में एफडीआई को उदार बनाने के साथ साथ प्राइवेट इनवेस्टमेंट के दरवाजे खोल दिए गए.
सेना को अधिक बजट की दरकार
डिफेंस सेक्टर के एक्सपर्ट की नजर में पिछले बजट में रक्षा क्षेत्र की बढ़ोतरी मामूली थी. सेना ने भी यह दावा किया था कि उसके पास पर्याप्त फंड नहीं है. यही वजह है कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सेना के 25 प्रोजेक्ट भी आगे नहीं बढ़ सके. बता दें कि पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्ते तनाव भरे रहे हैं. ऐसे में रक्षा बजट में इजाफे की दरकार थी.
अब भी चीन से पीछे
हालांकि चीन के मुकाबले अब भी भारत का रक्षा बजट तीन गुना कम है. रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने भी बीते दिनों रक्षा क्षेत्र का बजट जीडीपी के मौजूदा 1.56 फीसदी से बढ़ाकर 3 प्रतिशत तक करने की सिफारिश की थी. बता दें कि अमेरिका अपनी जीडीपी का 4 फीसदी, रूस 4.5, इजराइल 5.2, चीन 2.5 और पाकिस्तान 3.5 फीसदी रक्षा बजट के लिए आवंटित करता है.