नई दिल्ली/ मेरठ। दिल्ली से मेरठ के बीच का सफर महज 55 मिनट में सीमित करने के उद्देश्य से अनिवार्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का निर्माण करने जा रहा है. दिल्ली से गाजियाबाद होते हुए मेरठ जाने वाले इस कॉरिडोर में दौड़ने वाली ट्रेनों की रफ्तार करीब 180 किमी प्रति घंटा होगी.
यह कॉरिडोर देश का पहला ऐसा एलिवेटेड कॉरिडोर होगा, जिसमें 180 किमी प्रति घंटा से ट्रेनों को दौड़ाया जा सकेगा. उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल द्वारा निर्मित ट्रेन-18 (अब वंदे भारत ट्रेन) की आधिकारिक रफ्तार महज 130 किमी प्रतिघंटा है.
NCRTC ने शुरू हुआ ‘पाइल-लोड’ टेस्ट
NCRTC के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस कॉरिडोर के निर्माण को लेकर NCRTC ने अपना पहला कदम बढ़ा दिया है. जिसके तहत 30 जनवरी से कॉरडोर में पाइल-लोड टेस्टिंग की शुरूआत कर दी गई है. पाइल लोड टेस्टिंग के जरिए कॉरिडोर के सिविल स्ट्रक्चर और पिलर की क्षमता आंकी जाएगी.
इस टेस्ट के जरिए यह भी पता लगाया जाएगा कि 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेन का भार झेलने में स्ट्रक्चर सक्षम है या नहीं. NCRTC के अनुसार, 30 जनवरी की सुबह पहली पाइल-लोड टेस्टिंग निगम के एमडी विनय कुमार सिंह की मौजूदगी में गाजियाबाद के मोहन नगर फ्लाईओवर पर की गई है. इस कॉरिडोर की टेस्टिंग का काम अगले दो महीनों में पूरा कर लिया जाएगा.
82 किमी लंबा है दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर
NCRTC के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, दिल्ली से गाजियाबाद होते हुए मेरठ पहुंचने वाला यह कॉरिडोर कुल 82 किमी लंबा होगा. इस कॉरिडोर में कुल 22 स्टेशन होंगे. इन सभी स्टेशनों पर रुकने के बावजूद, इस कॉरिडोर पर दौड़ने वाली ट्रेन महज 55 मिनट में दिल्ली से मेरठ का सफर पूरा कर लेगी.
उन्होंने बताया कि इस कॉरिडोर पर दौड़ने वाली ट्रेन मेट्रो ट्रेनों की तरह न केवल अत्याधुनिक होंगी, बल्कि मुसाफिरों से जुड़ी सभी सहूलियतों को इन ट्रेनों में उपलब्ध कराया जाएगा. NCRTC के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना की डीपीआर को पहले ही यूपी सरकार से मंजूरी मिल चुकी है. वहीं, दिल्ली सरकार ने भी हाल में इस परियोजना को लेकर अपनी इन-प्रिंसिपल मंजूरी दे दी है. NCRTC का लक्ष्य है कि 2024 से पहले इस कॉरिडोर पर हाई स्पीड ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया जाए.