ओडिशा विधानसभा में कांग्रेस पर मुख्य विपक्षी दल का दर्जा छिन जाने का खतरा मंडरा रहा है. यह स्थिति हाल में पार्टी के दो विधायकों के इस्तीफा देने के बाद बनी है. खबरों के मुताबिक मुख्य विपक्षी दल का दर्जा बरकरार रखने के लिए कांग्रेस के पास राज्य विधानसभा में कुल विधायकों का कम से कम दस फीसदी हिस्सा यानी 15 विधायक होने चाहिए. लेकिन 147 सदस्यों वाले सदन में कांग्रेस के पास अब 13 विधायक ही बचे हैं.
इससे पहले इसी महीने की 24 तारीख को झारसुगुडा के विधायक नबा किशोर दास ने कांग्रेस से अपना इस्तीफा दे दिया था. साथ ही वे बीजू जनता दल (बीजेडी) में शामिल हो गए थे. इसके बाद आज ही उन्होंने राज्य विधानसभा से भी अपना इस्तीफा दे दिया था. इस पर नबा किशोर दास ने कहा, ‘मैं अब बीजेडी में शामिल हो गया हूं. इसलिए कांग्रेस के विधायक के तौर पर बने रहने का मुझे मौलिक अधिकार नहीं है.’ इस बीच ओडिशा विधानसभा के अध्यक्ष पीके अमात ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.
उधर, दास के अलावा बीते हफ्ते सुंदरगढ़ के कांग्रेस विधायक जोगेश सिंह ने भी विधानसभा से अपना इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उनके ऐसा करने से पहले ही पार्टी विरोधी गतिविधियों के मद्देनजर कांग्रेस ने उन्हें निलंबित कर दिया था. उनके अलावा बीते साल नवंबर में कोरापुट के विधायक कृष्णा चंद्र सागरिया ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया था. लेकिन उसी दौरान समता क्रांति दल के इकलौते विधायक जॉर्ज टिर्की ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था.
कांग्रेस का साथ छोड़ने वालों में पार्टी के वरिष्ठ नेता रह चुके श्रीकांत जेना भी शामिल हैं. पार्टी छोड़ने के पीछे जेना ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर खनन माफिया के साथ संबंध होने के आरोप लगाए थे. इसके साथ ही तब उन्होंने इस बारे में बड़ा खुलासा करने की बात भी कही थी.
अगले महीने की चार तारीख से ओडिशा विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस को हासिल विपक्षी दल के दर्जे पर उस वक्त कोई फैसला किया जाएगा.