उत्‍तराखंड: बीजेपी मंत्री के बयान से मची हलचल, 25 साल में नहीं हुआ प्रमोशन, संयम रखता तो CM होता

देहारादून। अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले बीजेपी सरकार के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का मुख्यमंत्री ना बनने का दर्द एक बार फिर छलक उठा. मिनिस्ट्रियल फेडरेशन के अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे हरक सिंह ने बेबाक कहा कि अगर वो संयम रखते और रंग नहीं बदलते तो उनका भी प्रमोशन हो जाता. हरक सिंह ने कहा कि वे पिछले 25 सालों से मंत्री हैं. कोई कर्मचारी कैसे भी नियुक्त हुआ हो, इतने सालों में उसका भी प्रमोशन हो जाता है. केवल वही एक ऐसे मंत्री हैं जिनकी नियुक्ति मंत्री पद पर हुई और आज तक मंत्री बने हुए हैं. हरक सिंह के इस बयान के सियासी मतलब भी निकाले जा रहे हैं.

कई पार्टियों में रह चुके हैं हरक सिंह रावत
यूं तो हरक सिंह रावत अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाते हैं, लेकिन हरक सिंह कई बार अपने बयानों से विवादों में भी फंस जाते हैं. कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन में संयम नहीं रखा. 1991 में हरक सिंह रावत सबसे कम उम्र में पर्यटन मंत्री बनाए गए थे. उसके बाद वे 1997 में भी उत्तर प्रदेश सरकार में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यय बनाये गए, जो कैबिनेट मंत्री स्तर का था. 1991 में बीजेपी से उन्होंने अपना सफर शुरू किया था और फिर बसपा में शामिल हुए.

बसपा के बाद वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गए और 2016 तक वो कांग्रेस में रहे. कांग्रेस में रहते हुए 2002 में वे कैबिनेट मंत्री 2007 में नेता विपक्ष और 2012 में फिर कैबिनेट मंत्री बनाये गए. बीजेपी में दोबारा शामिल हुए हरक सिंह रावत त्रिवेंद्र सरकार में भी कैबिनेट मंत्री हैं और यही उनका सबसे बड़ा दर्द है. वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि हरक सिंह रावत की बेचैनी और दर्द अब छलक रहा है और त्रिवेंद्र सरकार में अब ये छटपटाहट कुछ ज्यादा हो गई है. जय सिंह रावत कहते हैं कि हरक सिंह रावत महत्वाकांक्षी नेता हैं. इसमें कोई बुराई नहीं, लेकिन अगर वो बीजेपी में बने रहते तो मुख्यमंत्री बन सकते थे.

राजनैतिक महत्वाकांक्षा ने ही 2016 में कांग्रेस में कर दी दो फाड़
हरक सिंह रावत की राजनैतिक महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नही है. 2002 और 2012 में वे मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल थे, लेकिन दोनों ही बार कांग्रेस हाई कमान ने पैराशूट प्रत्याशी को सीएम बना दिया 2002 में नारायण दत्त तिवारी और 2012 में विजय बहुगुणा के हाथ बाजी लग गई. हरक सिंह ने मंच से खुद स्वीकार किया कि वे गिरगिट की तरह रंग नही बदलते तो सूबे की तस्वीर और उनकी तकदीर कुछ और होती.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल की भी की तारीफ
हरक सिंह रावत ने कहा कि राहुल गांधी अब काफी समझदार हो गए हैं. मुझे उनकी एक बात काफी पसंद आई जब उन्होंने ज्योतिदिराज्य सिंधिया को सीएम नहीं बनाए जाने पर किये गए सवाल का राहुल गांधी ने बहुत सही जवाब दिया. जब उन्होंने कहा कि संयम और सही समय राजनीति में काफी अहम होता है और उन्होंने संयम नहीं रखा.

18 मार्च 2016 को हरक सिंह रावत और विजय बहुगुणा की अगुवाई में ही कांग्रेस में बगावत हुई थी और पार्टी के 9 विधायकों ने एक साथ काँग्रेस को छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे. हरक सिंह रावत ने कांग्रेस में महासचिव नियुक्ति की गई प्रियंका गांधी पर भी तंज कसा और कहा कि उत्तराखंड में प्रियंका गांधी का कोई जादू नही चलेगा, क्योंकि उत्तराखंड में कांग्रेस वेंटिलेटर पर है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *