बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन में गुंजाइश अभी बाकी है, दो सीटों पर अटकी बात!

मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन को लेकर एक अहम खबर आई है. आजतक के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं, बस कुछ औपचारिकताएं बाकी हैं. शिवसेना के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए दो सीटें और चाहती है. पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना ने राज्य में 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 में जीत हासिल की थी, अब वे 22 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. वहीं, बीजेपी ने 24 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 23 पर जीत दर्ज की थी.

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के करीबी सूत्रों के मुताबिक, अगर गठबंधन को आगे बढ़ाने की जरूरत है, तो इस बार शिवसेना गठबंधन में अन्य साझेदारों के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेगी. वे चाहते हैं कि बीजेपी उन्हें उनके कोटे से ये सीटें दे.

हाल ही में तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद बीजेपी थोड़ी कमजोर स्थिति में है. शिवसेना, बीजेपी की इस स्थिति का फायदा उठा रही है और गाहे-बगाहे उसकी आलोचना करने से नहीं चूक रही है. चाहे वह राम मंदिर का मसला हो या फिर भारत रत्न. लेकिन शिवसेना पार्टी के भीतर नेताओं का एक धड़ा है जो बीजेपी के साथ गठबंधन करना चाहता है.

Sanjay Raut

@rautsanjay61

भारतरत्न नककी कुणाला?
आज नानाजी देशमुख,भुपेश हजारीका आणी प्रणव मुखर्जी यांना भारतरत्न बनवले.
वीर सावरकरांच्या नशीबी पुन्हा काळे पाणी.
शेम शेम

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शिवसेना और बीजेपी ने बुलाई अलग-अलग बैठक

भाजपा के साथ गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सोमवार को उद्धव ठाकरे ने पार्टी मुख्यालय में एक आवश्यक बैठक बुलाई है. इस बैठक में उद्धव ने सांसदों और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को मौजूद रहने के लिए कहा गया है. बैठक में उद्धव अपने नेताओं के साथ वर्तमान परिदृश्य पर चर्चा करेंगे. दूसरी ओर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने भी गठबंधन के मुद्दे और सीट बंटवारे के फार्मूले पर चर्चा करने के लिए भी एक बैठक बुलाई है. अब सभी की निगाहें इन दोनों बैठकों पर होंगी, जहां गठबंधन का फार्मूला तय होगा.

अमित शाह के बयान के बाद रुकी गठबंधन की बात

बीते दिनों बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अगर गठबंधन होता है तो पार्टी अपने सहयोगी दलों की जीत सुनिश्चित करेगी और अगर ऐसा नहीं होता है तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी. शाह के इस बयान पर शिवसेना ने पलटवार किया था.

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