नई दिल्ली। विपक्षी एकता के बीच इस वक्त सियासी गलियारे में सबसे बड़ी चर्चा यही चल रही है कि पीएम मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में विपक्ष की तरफ से कौन प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार हो सकता है. ये सवाल उस कड़ी में उठ रहा है कि यदि बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनाने में नाकाम रहती है तो विपक्ष की तरफ से कौन कमान संभालेगा? इस संदर्भ में कयास लगाए जा रहे हैं कि मनमोहन सिंह की तर्ज पर यूपीए चेयरपर्सन क्या इस बार मल्लिकार्जुन खड़गे को इस रेस में आगे कर सकती है?
कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि विपक्ष की तरफ से सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस जीतती है लेकिन बहुमत हासिल नहीं कर पाती तो संभवतया राहुल गांधी अपनी दावेदारी पेश नहीं करें. इस सूरतेहाल में कांग्रेस दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (76) को रेस में आगे कर सकती है.
मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस में लो-प्रोफाइल नेता हैं. बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षा प्रदर्शित नहीं की है. इसको इस बात से समझा जा सकता है कि लोकसभा में कांग्रेस की तरफ से सदन का नेता होने के बावजूद ज्यादा चर्चा में नहीं रहते. पार्टी हेडक्वार्टर में अक्सर प्रेस कांफ्रेंस करते नहीं दिखते. गांधी परिवार के काफी करीबी हैं. 2017 में कर्नाटक विधानसभा के चुनाव होने के बावजूद खुद को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया. जबकि पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार खड़गे नौ बार लगातार कर्नाटक विधानसभा का चुनाव जीते हैं. चुनावी राजनीति से पहले ट्रेड यूनियन लीडर के रूप में जाने जाते थे. 2014 के आम चुनाव में मोदी लहर के बावजूद कर्नाटक की गुलबर्ग लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे.
खड़गे की दलित पृष्ठभूमि, वरिष्ठता, अनुभव और सभी राजनीतिक दलों के सांसदों से बेहतर संबंधों के कारण वह कांग्रेस की तरफ से आदर्श प्रत्याशी हो सकते हैं. लेकिन ऐसा तभी संभव हो सकता है जब कांग्रेस को बहुमत नहीं मिलता या राहुल गांधी की दावेदारी को अन्य विपक्षी दल स्वीकार्य नहीं करते. लेकिन इस तरह के कयासों को तभी बल मिल सकता है जब बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए बहुमत के लिए 272 का जादुई आंकड़ा पार नहीं कर पाता.