नई दिल्ली। कर्नाटक के सियासी खेल में एक विधायक ऐसे भी हैं जो सुबह किसी पार्टी में होते हैं और शाम को उनका मन बदल जाता है, तो वो किसी और पार्टी में पहुंच जाते हैं. ऐसा ही काम कर्नाटक के मौजूदा सियासी खेल में एक विधायक ने किया है. सुर्खियां हासिल कर चुके ये विधायक निर्दलीय हैं. इन चर्चित विधायक का नाम आर शंकर है. उन्होंने ये काम कोई पहली बार नहीं किया है. लेकिन हाल में उन्होंने ये काम दोबारा जरूर किया है. शंकर कर्नाटक की रानेबेन्नूर सीट से विधायक हैं.
उनकी निष्ठाएं जिस तरह बदल रही हैं, उससे लोग हैरान हैं. पहले तो उन्होंने कुमारस्वामी की गठजोड़ सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की थी. फिर उसके बाद उनके बारे में खबरें आईं कि वो बीजेपी में जा रहे हैं. लेकिन इसके कुछ ही घंटे बाद उनका मन फिर बदला. अबकी बार वो कांग्रेस के पाले में पहुंच गए हैं.
क्या है विधानसभा में स्थिति
224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस के 80 विधायक हैं, जबकि जेडीएस के पास 37 विधायक. इसके अलावा एक विधायक बीएसपी और दो विधायक निर्दलीय हैं, जिन्होंने मिलकर कुमारस्वामी की अगुवाई में गठबंधन सरकार बनाई हुई है. विधानसभा में बीजेपी की ताकत 104 सदस्यों की है.
सोमवार को कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार पर खतरे के बादल तब मंडराते हुए लगे, जब शंकर समेत दो निर्दलीय विधायकों ने ये कहा कि वो सत्ताधारी दल से अपना समर्थन वापस ले रहे हैं. हालांकि, इसके बावजूद कर्नाटक में कुमारस्वामी पर कोई खतरा नहीं है, क्योंकि उनके पास बहुमत से 113 सदस्यों से ज्यादा सदस्य हैं.
अब कांग्रेस के संपर्क में, चाहिए बड़ा पद
शंकर के बारे में खबरें हैं कि वो बीजेपी कैंप में जाने के बाद वापस सत्ताधारी दल से जुड़ने की कोशिशों में लग गए हैं. बताया जा रहा है कि वो अब कांग्रेस नेताओं से बातचीत में लगे हैं. कांग्रेस सूत्रों ने कर्नाटक में कहा कि वो वापस लौट आएंगे, वो केवल सरकार में ऊंचा ओहदा चाहते हैं. इससे पहले वो कर्नाटक की गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेकर बीजेपी की ओर इसलिए गए थे, क्योंकि बताया जाता है कि बीएस येदुरप्पा ने उन्हें राज्य में बीजेपी सरकार बनने की सूरत में मंत्री पद का प्रस्ताव दिया था.
पहले भी ऐसा कर चुके हैं
कर्नाटक में चुनाव रिजल्ट आने के बाद से शंकर का रुख ऐसा ही रहा है. उन्हें इसी के चलते लोग पेंडुलम कहने लगे हैं. जब कर्नाटक में चुनावों परिणाम किसी पार्टी के पक्ष में नहीं आए तो बीएस येदियुरप्पा द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद जब राज्य में हॉर्स ट्रेडिंग शुरू हो गई, तब भी शंकर लगातार अपनी लायल्टी बदलते रहे.
वैसे कहने को तो उनकी पार्टी का नाम कर्नाटक प्रज्ञ नव्यन्यता जनता पार्टी है लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी को मान्यता नहीं दी, लिहाजा उन्हें विधानसभा में निदर्लीय का स्टेटस हासिल है. जब कर्नाटक के राज्यपाल ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए बुलाया, तब शंकर बीजेपी के साथ चले गए थे लेकिन फिर वो पास पलटते देख कांग्रेस के साथ आ गए.
कांग्रेस के संकटमोचक डीके शिवकुमार के साथ आर. शंकर
शिवकुमार से बातचीत के बाद पलटी खाई
हाल के दो दिनों में शंकर ने तीन बार पलटी खाई. पहले तो उन्होंने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लिया. फिर वो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष येदियुरप्पा के साथ बातचीत करते पाए गए. इसके बाद जब उनकी कांग्रेस के राज्य के संकटमोचक डीके शिवकुमार से बात हुई, तो वो वापस कांग्रेस के पास लौटकर गठबंधन सरकार को राहत देते लग रहे हैं.
मंत्री पद से हटाने पर नाराज थे
शंकर को कुमारस्वामी की सरकार का गठन होने के बाद पिछले साल जुलाई में पर्यावरण और वन मंत्री बनाया गया था, लेकिन दिसंबर में उन्हें जब कैबिनेट से हटाया गया, तो वो कांग्रेस और जेडीएस दोनों से नाराज होकर बीजेपी के पाले मेंं चले गए थे.