नई दिल्ली। कर्नाटक में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. मंगलवार को दो निर्दलीय विधायकों के जेडीएस-कांग्रेस सरकार से समर्थन की घोषणा के बाद सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के पांच विधायक भी पाला बदल सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के बागी विधायक रमेश जर्केहोली मुंबई में इन बागी विधायकों से मुलाकात कर आगे की रणनीति बना रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक ये विधायक कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी के पाले में जा सकते हैं. रमेश जर्केहोली को कुछ समय पहले कैबिनेट मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था. मंत्री पद जाने के बाद से ही रमेश नाराज बताए जा रहे हैं.
इस बीच सूत्रों के मुताबक कांग्रेस और जेडीएस ने अपने सभी विधायकों को बेंगुलरू पहुंचने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कांग्रेस ने डीके शिवकुमार और एमबी पाटिल को बागी विधायकों से बातचीत कर अपने खेमे में लाने की जिम्मेदारी है. उधर गुरुग्राम में डेरा जमाए बीजेपी के सभी 104 विधायकों के साथ बीएस येदियुरप्पा ने बैठक की है.
दो विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस लिया
इससे पहले कर्नाटक में सात माह पुरानी एच डी कुमारस्वामी नीत कांग्रेस- जद (एस) गठबंधन सरकार को झटका देते हुए दो निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को अपना समर्थन वापस ले लिया. दोनों विधायकों ने यह कदम सत्तारूढ़ गठबंधन और भाजपा द्वारा एक-दूसरे पर विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाने के बीच उठाया है. एच नागेश (निर्दलीय) और आर शंकर (केपीजेपी) ने राज्यपाल वजुभाईवाला को पत्र लिख कर तत्काल प्रभाव से समर्थन वापस लेने के अपने फैसले से अवगत कराया है.
फिलहाल मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए इन विधायकों ने अपने-अपने पत्र में राज्यपाल से आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है. इससे राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या घटकर 118 हो जाएगी. हालांकि, सरकार को अब भी कोई खतरा नहीं है. इससे बेपरवाह कांग्रेस और जद (एस) शीर्ष नेतृत्व ने कहा कि सरकार को कोई खतरा नहीं है. इस घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी सरकार स्थिर है और ‘‘वह पूरी तरह निश्चिंत हैं.’’
नागेश और शंकर ने यह कदम सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा खरीद-फरोख्त किये जाने के डर से भाजपा के 104 विधायकों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पास हरियाणा के नूह जिले में एक रिसॉर्ट में ठहराए जाने की खबरों के बीच उठाया. हाल में मंत्रिपरिषद में हुए फेरबदल में शंकर को मंत्री पद से हटा दिया गया था, जबकि नागेश मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज थे.
मई 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया के दौरान शंकर ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी, लेकिन आखिरी वक्त में कांग्रेस का समर्थन करने की घोषणा की थी. कांग्रेस के पूर्व सदस्य नागेश ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी.
कुमारस्वामी ने कहा कि कोई फर्क नहीं पड़ता
इस घटनाक्रम से तनिक भी परेशान नहीं दिखने की कोशिश करते हुए कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘मैं अपनी ताकत को जानता हूं. मेरी सरकार स्थिर है. चिंता मत करिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे कन्नड़ (टीवी) चैनलों में पिछले एक हफ्ते से जो कुछ भी दिखाया जा रहा है, मैं उसका लुत्फ उठा रहा हूं.’’ जदएस नेता ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘क्या होने जा रहा है? यदि दो निर्दलीय (विधायक) समर्थन करने (भाजपा को) की घोषणा भी कर दें तो क्या संख्या होगी? मैं पूरी तरह से निश्चिंत हूं.’’
इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर, वरिष्ठ मंत्री डी के शिवकुमार, गृह मंत्री एम बी पाटिल और पार्टी के अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक की. बाद में संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मीडिया इस ‘ऑपरेशन लोटस’ को लेकर बेवजह शोर मचा रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को कोई खतरा नहीं है. मैं सरकार को खतरा होने के बारे में समाचार चैनलों पर धारावाहिक की तरह दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों का आनंद लेता हूं.’’
एचडी देवगौड़ा
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने भी कहा कि उनके बेटे के नेतृत्व वाली सरकार को कुछ भी नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘‘यह मीडिया समेत किसी के भी हाथ में नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि आप कितना भी शोर मचा लें, कुछ भी नहीं होगा क्योंकि यह ईश्वर के हाथ में है. उन्होंने कहा, ‘‘जब एक पार्टी (जदएस) के 38 विधायकों को एक राष्ट्रीय पार्टी (कांग्रेस) का आशीर्वाद प्राप्त है, ऐसे में सब ईश्वर की इच्छा पर निर्भर है.’’
राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 104, कांग्रेस के 79, जद (एस) के 37, बसपा, केपीजेपी के एक-एक और एक निर्दलीय विधायक के अतिरिक्त विधानसभा अध्यक्ष हैं.