भारतीय क्रिकेट में खिलाड़ियों से जुड़े विवाद पहले भी होते रहे हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि इसकी वजह से दो खिलाड़ी विदेशी दौरे से एक साथ स्वदेश भेजे जा रहे हैं. ये दोनों खिलाड़ी हार्दिक पांड्या और केएल राहुल हैं. भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने पांड्या और राहुल के बारे में टीम प्रबंधन को निर्णय लेने को कहा था, जिसने उन्हें स्वदेश भेजने का निर्णय लिया.
भारतीय क्रिकेट इतिहास में यह सिर्फ दूसरा मौका है, जब कोई क्रिकेटर विदेश दौरे से अनुशासनहीनता के आरोप में स्वदेश भेजा जाएगा. ऐसा पहला मामला 82 साल पहले आया था. तब 1936 में लाला अमरनाथ को तत्कालीन कप्तान विजयनगरम के महाराज यानि विज्जी ने एक प्रथम श्रेणी मैच के दौरान कथित अपमान के कारण भारत के इंग्लैंड दौरे के बीच से स्वदेश भेज दिया था.
हालांकि, बाद में यह बात साफ हो गई कि यह अनुशासनात्मक मामला नहीं था. इसकी वजह यह थी कि लाला अमरनाथ ने किसी मसले पर विज्जी से बहस की थी. विज्जी को यह बहस नागवार गुजरी और उन्होंने इसे अनुशासन का मामला बना दिया. यह आम राय है कि एक रियासत के शासक (विज्जी) को अपनी योग्यता नहीं, बल्कि पद के कारण कप्तानी मिली थी.
आपत्तिजनक टिप्पणियों की कीमत चुकाई
इसके बाद भी विदेशी दौरों में कई बार अनुशासनात्मक मसले उठे, लेकिन अब से पहले बीसीसीआइ ने कभी भी दोषी खिलाड़ियों को स्वदेश लौटने के लिए कहा. वैसे भी पांड्या और राहुल के मामले की अमरनाथ से तुलना भी नहीं की जा सकती. इन दोनों खिलाड़ियों को महिलाओं के लिए आपत्तिजनक टिप्पणियां करने की कीमत चुकानी पड़ रही है.
नवजोत सिंह सिद्धू भी लौटे थे अधूरा दौरा छोड़कर
भारतीय खिलाड़ी के दौरे के बीच से स्वदेश लौटने की एक और घटना 1996 में घटी थी. तब नवजोत सिंह सिद्धू कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन से तीखी बहस के बाद दौरे से हट गए थे. वे किसी को सूचित किए बिना चुपचाप निकल गए थे, जिससे कमरे में उनके साथी को टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण का मौका मिल गया. यह साथी कोई और नहीं बल्कि सौरव गांगुली थे, जिन्होंने लार्ड्स में पदार्पण मैच में ही शतक जड़ा था.