लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में गठबंधन के लिए फॉर्मूला तैयार कर लिया है.शनिवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती साझा प्रेस कांफ्रेंस करने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि शनिवार को ही दोनों की ओर से आधिकारिक तौर पर गठबंधन की सीटों का ऐलान हो जाएगा.
वहीं यह कोई पहली बार नहीं है जब सपा और बसपा गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरे हैं. 1993 में भी सपा और बसपा ने बड़े स्तर पर संयुक्त रूप से चुनाव लड़ा था. मौका था उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का. इसमें दोनों दलों ने साथ मिलकर पहली बार बड़ेे स्तर पर बीजेपी को कांटे की टक्कर दी थी.
176 सीटें जीता था गठबंधन
1993 में उत्तर प्रदेश की 422 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हुए थे. इनमें बसपा और सपा ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था. दोनों ने संयुक्त रूप से 420 सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतारे थे. दोनों दलों ने संयुक्त रूप से इन चुनावों में 176 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. इनमें बसपा ने 164 प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 67 प्रत्याशी जीते थे. वहीं सपा ने इन चुनावों में अपने 256 प्रत्याशी उतारे थे. इनमें से उसके 109 प्रत्याशी उतारे थे.
बीजेपी ने जीती थीं 177 सीटें
इस चुनाव में भले ही सपा-बसपा का गठबंधन हुआ था लेकिन इनमें बीजेपी ने सर्वाधिक 177 विधानसभा सीटें जीती थीं. लेकिन उस समय भी सपा और बसपा ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार को बनने से रोकने के लिए अन्य दलों को साथ मिलाया और सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया. 4 दिसंबर, 1993 को मुलायम के नेतृत्व में सपा-बसपा की सरकार बनी.
सपा और बसपा का 37-37 फॉर्मूला
हालांकि 1993 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव थे. इस बार लोकसभा चुनाव हैं. वहीं सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि सपा और बसपा के बीच प्रदेश में 37-37 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति बन गई है. वहीं अमेठी और रायबरेली सीट को कांग्रेस के लिए छोड़ने का फैसला लिया गया है. इसके साथ ही अन्य सीटों में करीब 2 सीटें रालोद को देने पर सहमति बनी है. सूत्रों के अनुसार दो सीटों को रिजर्व रखने का फैसला लिया गया है.